गुप्तरत्न "भावनाओं के समन्दर मैं" मेरे सजदों की बस इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न,और कही सर रत्न का झुके न ए मालिक । © hindi_poetry,poem based on feelings and emotion. हिंदी कविताओं का एक पेज,जिसमे भावनाओं में डूबे अल्फाज़ मिलेंगे ,कुछ दर्द तो कुछ मुहब्बत के पास मिलेंगे .© all the writing work is my own ©
ग़ज़ल गीत और कविता के समंदर में उठता हुआ ज्वार है गुप्तरत्न .... भगवान आपको प्रगति पथ पर अग्रसर रखे
जवाब देंहटाएंशुक्रिया .....आप सभी की शुभकामनाएं ईश्वर के आशीष साथ बहुत जरुरी है
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