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# guptratn हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " © जो हो गई सो हो गई ,बात होनी तो हो गई                                                                           कब इसमें किसी का वश चला है , मुहब्बत थी बस,होनी तो हो गई , क्या फर्क की तुम्हे पसंद या मुझे पसंद , बात होनी थी , सो हो गई  मुश्किल ही था साथ आगे चलना अब , छोड़ो, राहें जुदा हो गई तो हो गई , हो गई सो हो गई.... कहाँ लेके जाओगे अकड़ इतनी , मिटटी में दबनी है, या धुआं में उड़नी है , अकड़ अच्छे-  अच्छों की,यहाँ धुआँ मिटटी हो गई  रात के ख्वाब सा था  साथ तेरा, आँख खुली तो सुबह हो गई , हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई  ©

#गुप्तरत्न बस दिन आज हो

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शायरी के भी अजब अंदाज़  हो , हो खुलेआम बातें ,फिर भी सब राज हो , कब  तक उड़ान भरेंगे इन छोटे छोटे परों से हम , उड़ना चाहते है यूँ , की यूँ बाज हो , क्या जरुरत है तकरीर की सर -ऐ -महफ़िल , खामोशियां बयां हो जाएँ ,आँखों से यूँ से बात हो, बस आज कल आज में बीत न जाएँ वक़्त ये , मिलो हमसे ,तो तुम मिलो यूँ , की बचा जिंदगी का ,बस दिन आज हो .......................