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#सुना गुप्तरत्न ने तुझे तेरी आवाज़ में

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#सुना गुप्तरत्न ने तुझे तेरी आवाज़ मे © "गुप्त रत्न" अभी और एक मुद्दत लगेगी ,हमें इस हालत में आने में, की जहाँ तू सामने हो,और ज़ुबान साथ दे हाल-ए-दिल बताने में। Abhi aur ek muddat legegi ,hmen is haalat mein aane mien, ki jahan saamne  tu  ho,aur juban saath de Haal-E-Dil bataane mein, होता कहाँ है इतना ?,सब खत्म हो जाता है ,वक़्त कुछ तेरे सीने से लगने में,और तुझे गले लगाने में,। Hota kahan hai,Itna? Sab kahatm ho jaata hai,Waqt, Kuch tere seene se lange Mein,Aur tujhe gale lagaane mein. जाने कितने ही मौसम गुज़र गए यूँ ही, हमें अपना बताने में,और तुम्हे अपना  हाल-ए-दिल  छिपाने में। Jaane Kitne hi Mousam Gujar gaye yun hi, hmen apna Hal-E-Dil batane mein aur tumhe apna chipaane mein, बेमकसद ,बेमंज़िल सफर है,मुसाफिर जानते है मगर, फिर भी बुरा न लगा दोनों को,इन राहों पे आने-जाने से। bemaksad,Bemanzil safar hai,Musafir jaante They mangar, Fir Bhi Bura N laga dono ko,In raahon pe aane-jaane se . मुनासिब भी लगा,और पसंद भी आया गुफ्तगू का ज़रिया ये, पढ़ा तूने मुझे मेरे लफ़्ज़ों में,सुना मैंने

#guptratn आपके लिये #shayri aapke liye

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#guptratn shayri

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " Mह

#स्वतन्त्रता दिवस:ये अपना हिंदुस्तान है #hindustaan #happy independence day

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"गुप्त रत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य .. हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है, और नहीं कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। हाथों मैं रखता कोई गीता,पढता कोई कुरआन है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है " दुआ भी होती,नात भी सुनते और कहते कव्वाली भी, और यही पर  सुनते हम भजनों की मधुरम  तान है।। "शूरवीर महाराणा" यही पर हुए "अकबर महान" है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। सियासत भी बोलती है, ज़हर नफरत का घोलती है / आयें मिटाने इस प्रेम को कई सियासी शैतान है।। फुट डालकर राज किया कई ,गोरे और देशी हैवान है , अब नही करने देंगे ये,यहाँ अपना घर ये  हिन्दुस्तान है।। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब इसकी शान है , और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।। जय हिन्द।

#guptratn shayri

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

Guptratn: इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे, दुनिया के आगे खुदको अंजान...

Guptratn: इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे, दुनिया के आगे खुदको अंजान... : ऊब  गए,धूप छावं के इस खेल से अब,कि अब खुदको  बहलाने का ,हमने कुछ और इंतजाम कर लिया / चल रहे थे चर्चे ,तेरे दर्द के तेरी गली में , सुनके हमने...

इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे, दुनिया के आगे खुदको अंजान कर लिया /

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ऊब  गए,धूप छावं के इस खेल से अब,कि अब खुदको  बहलाने का ,हमने कुछ और इंतजाम कर लिया / चल रहे थे चर्चे ,तेरे दर्द के तेरी गली में , सुनके हमने भी ,दिल को थोडा  सा परेशान  कर लिया / दवा हो नही सकते थे ,पर दुआ का काम कर दिया , खुदा के आगे सर झुका के वो सज़दा तेरे नाम कर दिया / जो तेरी मर्ज़ी है बेरुखी , तो अब  इस पे भी तेरा "मान "कर लिया , हमने भी चुपके चुपके ,दिल में रुख बदलने का एलान कर दिया / हमने भी करना  "इकरार ",बंद अब खुल-ए-आम कर दिया , इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे ,दुनिया के आगे खुदको अंजान कर लिया / हर चीज़ की ऊम्र तय है ,इस किस्से का भी तय अंजाम कर लिया , चढ़ चुका था जो ,उस इश्क़ ने अब उतरना शुरू ढ़लान कर दिया /

Guptratn: पिता

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Guptratn: पिता : "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " दिनभर मेहनत की आग में जलता है , अपना सुख चैन सब एक किनारे रखता है / तब कही बेटे के ... https://draft.blogger.com/blog/page/edit/4696555860969717029/3353985894091161252 https://draft.blogger.com/blog/page/edit/46965558 60969717029/3353985894091161252

Guptratn: तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं ,

Guptratn: तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , : अगर ये बारिश तुम्हारे दिल को न भिगाए , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , अगर ये हवाएं मेरी याद न दिलाएं , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , ... https://draft.blogger.com/blog/post/edit/4696555860969717029/1237466232579035144 https://draft.blogger.com/blog/post/edit/4696555860969717029/1237466232579035144

#GUPTRATN आपके लिए तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं ,

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अगर ये बारिश तुम्हारे दिल को न भिगाए , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , अगर ये हवाएं मेरी याद न दिलाएं , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , किसी झील ,नदी के पानी में मेरा अक्स नज़र न आये , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , अगर रंगों में मेरा रंग नज़र न आये  तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , किसी की हंसी में गर में  न खिलखिलाऊं  तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , तेरी बातों में गर में न आऊँ , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , महफ़िल में न लगे गर तन्हाई , मेरा इंतजार न हो,हर आहट पे न लगे की कहीं मैं तो नहीं आई  तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , बहुत चाहने वाले है तेरे ,जब  मिलो उनसे और में न होके  भी बीच न आऊँ , तेरे दिल -दिमाग को में  मेरी ही तरह न उलझाऊँ , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं  तेरी हर गीत ,तेरी ही आवाज़ में न गाऊँ , तो सोच लेना की ,हाँ .......मुझसे प्यार नहीं 

#पिता_जीवन का आधार

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " दिनभर मेहनत की आग में जलता है , अपना सुख चैन सब एक किनारे रखता है / तब कही बेटे के चेहरे में नयी साइकिल की ख़ुशी , और बेटी के तन पे नए लिबास का रंग फबता है / मां रोके कह देती है दुखड़े सारे ,पर वो तो  मर्द है न , रो भी नहीं सकता है , अपना सुख चैन सब किनारे रखता है ..... दिन भर मेहनत की आग में जलता है , अच्छे खाने का शौक भी शौक़ से रखता है , पर बेटी के हाथों का जला खाना भी स्वाद से चखता है , दिल पे पत्थर रखकर,बेटे की गल्ती पर उसको गाली भी बकता है, बेटी के आंसू गिरने पर उसका दिल भी दुखता है , पिता है जैसे तैसे भी हो, पर सब mangae करता है , अपना सुख चैन सब ..... जो कभी खुद न पढ़ पाया उन महंगे school में , पर खुद के शौक किनारे रखके, बच्चो के स्कूल की वो महंगी फीस भी भरता है , पिता है बच्चो की खुशियों के लिए सब कुछ वो करता है , दिन रात मेहनत की आग में जलता है .... ©

#guptratn:अलाव

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पहले घरो के आगंन में जलता अलाव था , साथ बैठता था परिवार ,उसमे एक लगाव था , भूनकर खाते थे मटर के दाने उसमे, नही मिला कही वो स्वाद ,उस खाने में एक चाव था , अब अलग अलग घर है ,घरों में कमरे भी अलग है , है सब अपने , है  साथ , फिर भी सब अलग है , रूम हीटर ने ले ली जगह अब कहाँ अलाव जलते है , किसने ,किसको कब क्या कहा ,  दिलों में बस ये घाव पलते है , अब कहाँ होती है ,वो सुबह,जहाँ चाय मिलकर सब पीते थे , काटते नही ,वक़्त को  लगता है मानो वो जीते थे , कहाँ होती है वो सुबह , अब तो ओ बस जिम्मेदारियों के तले  दिन ढलते है , किसने किसको कब क्या कहाँ ,दिलों में ये ही घाव पलते है ......., कसूर नही किसी का, कुछ जरूरतें बढ़ी और कुछ लालच भी , हो गए आधुनिक ,बन गया  शहर  जो पहले गावं था, वरना पहले घरों में जलता अलाव था ...............साथ बैठता था परिवार ...