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"गुप्त रत्न" हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है,

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"गुप्त रत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य .. हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है, और नहीं कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। हाथों मैं रखता कोई गीता,पढता कोई कुरआन है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है " दुआ भी होती,नात भी सुनते और कहते कव्वाली भी, और यही पर  सुनते हम भजनों की मधुरम  तान है।। "शूरवीर महाराणा" यही पर हुए "अकबर महान" है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। सियासत भी बोलती है, ज़हर नफरत का घोलती है / आयें मिटाने इस प्रेम को कई सियासी शैतान है।। फुट डालकर राज किया कई ,गोरे और देशी हैवान है , अब नही करने देंगे ये,यहाँ अपना घर ये  हिन्दुस्तान है।। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब इसकी शान है , और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।। जय हिन्द।

गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है,बताती हूँ की ...

"गुप्त रत्न "  : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की ... : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की लिखना क्या होता है// कभी चलकर आये है ,जिन काँटों सी राहों पर, चुभन वो  ,बार बार महसूस... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : पलकों मैं बैठा लिया आपको दिल से मजबूर होकर ,बेईज्ज...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : पलकों मैं बैठा लिया आपको दिल से मजबूर होकर ,बेईज्ज... : पलकों मैं बैठा लिया आपको दिल से मजबूर होकर , बेईज्जत करने पर आमदा हो गए गुरूर मैं  चूर होकर // दिल झुका पर सर न झुका सकेंगे , कैसी ज... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " "तेरे सीने से लिपटने का मन है करता, बोलूं कैसे?

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " तेरे सीने स... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " तेरे सीने से लिपटने का मन है करता, बोलूं कैसे?बदनामी से दिल है डरता,// क्या... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को, तेरे सीने से लिपटने का मन है करता, बोलूं कैसे?बदनामी से दिल है डरता,// क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को, जितना भी देखूं ,तुझसे मन नही है भरता ,// महसूस कर रहे तुम भी,कर रहे महसूस हम भी, धडकनों ,और साँसों की बेकरारी का ये आलम , अज़ब सी तुमको  ये कशमकश ,खामोश हम भी, देखेंगे इज़हार-ए-बेकरारी पहले कौन है करता // तेरे सीने ....................................................
दर्द पढ़ना लगता है अच्छा ,इसलिए दर्द लिख रहें है, यकीन मानो पीकर सब सच लिख रहें है, वो तो नशा था मेरे लिए अब तक, है लत,वो लिख रहें है // तन्हाई भी कितनी बेरहम होती है,भूलना है, जिसको उसको लिख रहें है // सबने नचाया है अपने इशारों पर मुझको, अब और नहीं,बस वो लिख रहें है // तुम्हारी तड़प तो जीत है मेरी ,तुम तड़प जाओ , इसलिए तो लिख रहें है // तुम तो दवा हो ए दोस्त, ज़हर न बन जाओ इसलिए लिख रहे है // तुझसे हर ओहदे मैं ऊँचे रहें ,फिर भी, हारे है मुह्ब्बत मैं,इसलिए लिख रहे हैं // गुप्त रत्न 

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "अजीब सी कशमक...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमक... : गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमकश साथ मेरे,आजकल  खुद से ही है,एक जंग आजकल // सिहर उठती हूँ ,तेरा ख्याल आ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको,कडवे हो,मेरे जैसे लगन...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको, कडवे हो,मेरे जैसे लगन... : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको, कडवे हो,मेरे जैसे लगने लगे हो मुझको, बहुत सोचते मेरे बारे मैं, क्यूँ ? जब फ़िक्र नहीं खुद मुझको, जीने दो ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " "बदले है ढंग आजकल ""गुप्त रत्न "" भ...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " "बदले है ढंग आजकल " "गुप्त रत्न "" भ... : "गुप्त रत्न " "बदले है ढंग आजकल " "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमकश साथ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमकश साथ मेरे,आजकल  खुद से ही है,एक जंग आजकल // सिहर उठती हूँ ,तेरा ख्याल आते ही, ये क्या  हो रहा है, मेरे संग आजकल// सोच कर घबराना ,कभी शर्माना तुझे, अजब से हालत हो चले मेरे संग आजकल // मैं तो नहीं थी कभी ऐसी, क्यूँ बदले है,मेरे ढंग आजकल// कितने जले है,अब तक ये क्या बताऊँ, खुद मोम सी पिघल रही है ,ये आग आजकल// जाने कितनो को तडपाया है,बताएं क्या इस "रत्न"ने, एहसास ये नए करते है,इसको तंग आजकल // मौसम ने भी क्या करवट ली है शानदार, बारिश मैं है तिश्नगी ,समन्दर मैं आजकल // बदल रहा है हवाओं का रुख, लहरों मैं हलचल ,नयी तरंग है आजकल// चाहकर नहीं छिपा पाते है "रत्न" खोल रहे है राज़,आँखे और चेहरा का रंग आजकल//
"गुप्त रत्न " " सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं, इस इम्तिहा तक तरसाना चाहते हो,//? मोम सी पिघल रही हूँ , खुद भी आग हो ये बताना चाहते हो //?  प्यास नही तुमको,? सच कहो किसे बहलाना चाहते हो //? दो कदम भी नही चले साथ,अभी, घबराकर कदम पीछे हटाना चाहते हो//? डरते हो, न मुहब्बत कर बैठो "रत्न"से  , दिल तो गया आपका अब क्या बचाना चाहते हो //?

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न ""ख़ामोशी की गहराई मैं"सामने बैठकर दि...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न ""ख़ामोशी की गहराई मैं" सामने बैठकर दि... : "गुप्त रत्न " "ख़ामोशी की गहराई मैं" सामने बैठकर दिल का संभलना, जैसे आग  मैं रखकर हाथ का  न जलना, नही देखा अब तलक, ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं,इस इम्तिहा तक तरसाना चा...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं, इस इम्तिहा तक तरसाना चा... : सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं, इस इम्तिहा तक तरसाना चाहते हो,//? मोम सी पिघल रही हूँ , खुद भी आग हो ये बताना चाहते हो //?  प्यास नही तुमक... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " "ख़ामोशी की गहराई मैं" सामने बैठकर दिल का संभलना, जैसे आग  मैं रखकर हाथ का  न जलना, नही देखा अब तलक, गर्मी मैं बर्फ का न पिघलना // नही पता "रत्न"को, रोके कैसे यूँ धडकनों का मचलना // सिखा दो ये फनकारी, छिपाकर तड़प, महफ़िल मैं संभलना  // ------------------------------------------------------------

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " लहरों के श...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "  लहरों के श... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "   लहरों के शोर से समन्दर की गहराई का अंदाजा नही होता, सूरत से न लगाइए जी अनुम... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

#गुप्तरत्न लहरों के शोर से समन्दर की गहराई का अंदाजा नही होता,

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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "   लहरों के शोर से समन्दर की गहराई का अंदाजा नही होता, सूरत से न लगाइए जी अनुमान मेरा जो दिखता है अक्सर वो नही होता.... खूबसूरती के लबादे मैं ढंके है दर्द कितने , मेरी हंसी से कभी उनका किसी को अंदाजा नहीं होता.......... जिसके लिए लिखी है इबारते मेरी आँखों मैं,वो ही समझ पायेगा, सबके लिए "रत्न" की आँखों की पाठशाला का दरवाज़ा ये खुला नही होता // इतना भी आसान नही है पार कर पाना हदों को, जिगर चाहिए,दिल की इस हुकूमत मैं आना सबके बश मैं नहीं होता // Like Show more reactions  ·  Reply  ·  14 mins  ·  Edited

लिखी हुयी इबारत हूँ ,चंद पढ़ डालिए जनाब //

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मेरे बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब, लिखी हुयी इबारत हूँ ,चंद पढ़ डालिए जनाब // सूरत से न हो पायेगा, अनुमान-ए-हसरते , समझना है गर मुझे ,तो आँखों मैं आँखे डालिए जनाब // मोम सी पिघली हूँ, आपकी निगाहें-ए-तपिश मैं , पत्थर थी बनी ,जब से धोखे बहुत खा लिए जनाब // अकेली ,उलझी हुयी ख़ूबसूरत मैं पहेली हूँ, सुलझ जाएगी न इक दिन सुलझाइए जनाब // छिनना ही चाहते हो ,न चुराना ही "रत्न"को, फिर कीमत अदा कीजिये या खुदा से मांग डालिए जनाब // भटकी हुयी लहरे थी ,तूफ़ान-ए-समन्दर मैं, घडी भर को सही,आपकी महफ़िल मैं जज़ीरे पा लिए जनाब // जीत जाइये या हरा दीजिये हम को , बस थम जाइये ,अब  इतना  न  हमसे  खेलिए  , जनाब // मचल जाती है लहरे,समन्दर मैं तेरे ख्यालो से, थाम लो इन्हें,वरना आपको डुबोकर ही मानेगी जनाब// सामने आये आप, घबराकर धडकने ही रुक गई, कैसे समझाऊ खुदको ,आप ही समझाइये जनाब // एक घडी भी आपका ख्याल जाता नही दिल से , क्या चाहते है , अब  फरमाइए /बहुत मुझे सता लिए जनाब // लहरों मैं हलचल है ,बादल भी है  सबब , तूफ़ान दोनों मैं है ,इल्ज़ाम बस मत समन्दर पर डालिए जनाब // पहले ही कम थी  क्या हलचल लहरों मैं,

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : वाह  क्या चीज़ है ..........कौन कहता है, शराब बुर...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : वाह  क्या चीज़ है .......... कौन कहता है, शराब बुर... : वाह  क्या चीज़ है .......... कौन कहता है, शराब बुरी चीज़ है , दुनिया भुला दे, अरे ये तो वो चीज़ है // लाखों गम,लाखों तकलीफे, सब कुछ मिटा... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

कौन कहता है शराब..................

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " वाह  क्या चीज़ है .......... कौन कहता है, शराब बुरी चीज़ है , दुनिया भुला दे, अरे ये तो वो चीज़ है // लाखों गम,लाखों तकलीफे, सब कुछ मिटा दे, सच ये वो चीज़ है // सुर भी है,साज़ भी है ,संगीत भी है आवाज़ भी है , बना दे मधुर जिंदगी ,ये वो चीज़ है // लगती है कड़वी,किसी को वेस्वाद, बना दे सब मीठा,पीने के बाद ये वो चीज़ है // आँखों से पीता ,कोई तो लेकर बैठा पैमाना , दोनों मैं है गज़ब का नशा,ये क्या चीज़ है // कौन कहता है शराब.................. कौन चाहता है होश मैं रहना , कर दे बेखुद,"रत्न "को वाह ये  क्या चीज़ है // या तो दे शराब ,कोई या महफ़िल तेरी , मौज़ूद है नशा,भुला दे गम दोनों क्या चीज़ है // कौन कहता है शराब बुरी चीज़ है, सब गम मिटा दे ,कसम से ये तो वो चीज़ है // बेखुद- होश मैं न रहना 

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : बता भी दो क्यों रहते हो मुझसे नाराज़,याद दिलाती हू...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : बता भी दो क्यों रहते हो मुझसे नाराज़, याद दिलाती हू... : बता भी दो क्यों रहते हो मुझसे नाराज़, याद दिलाती हूँ,तुमको बीती बातें कुछ आज,// मैं अर्जुन थी बने तुम श्रीकृष्ण ,जीवन महाभारत के मेरे, द... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "