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"गुप्तरत्न " : लिखूं क्यां ये समझ नहीं आ रहा ,दिल मैं जो है, वो ...

"गुप्तरत्न " : लिखूं क्यां ये समझ नहीं आ रहा , दिल मैं जो है, वो ... : लिखूं क्यां ये समझ नहीं आ रहा , दिल मैं जो है, वो भी कहा नही जा रहा ll तलब दोनों के दिलों मैं है मगर , तेरी प्यास मैं,और मेरी  तू समझ न... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "