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Guptratn: इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे, दुनिया के आगे खुदको अंजान...

Guptratn: इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे, दुनिया के आगे खुदको अंजान... : ऊब  गए,धूप छावं के इस खेल से अब,कि अब खुदको  बहलाने का ,हमने कुछ और इंतजाम कर लिया / चल रहे थे चर्चे ,तेरे दर्द के तेरी गली में , सुनके हमने...

इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे, दुनिया के आगे खुदको अंजान कर लिया /

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ऊब  गए,धूप छावं के इस खेल से अब,कि अब खुदको  बहलाने का ,हमने कुछ और इंतजाम कर लिया / चल रहे थे चर्चे ,तेरे दर्द के तेरी गली में , सुनके हमने भी ,दिल को थोडा  सा परेशान  कर लिया / दवा हो नही सकते थे ,पर दुआ का काम कर दिया , खुदा के आगे सर झुका के वो सज़दा तेरे नाम कर दिया / जो तेरी मर्ज़ी है बेरुखी , तो अब  इस पे भी तेरा "मान "कर लिया , हमने भी चुपके चुपके ,दिल में रुख बदलने का एलान कर दिया / हमने भी करना  "इकरार ",बंद अब खुल-ए-आम कर दिया , इश्क़ है ?"न" कहके तुमसे ,दुनिया के आगे खुदको अंजान कर लिया / हर चीज़ की ऊम्र तय है ,इस किस्से का भी तय अंजाम कर लिया , चढ़ चुका था जो ,उस इश्क़ ने अब उतरना शुरू ढ़लान कर दिया /

Guptratn: पिता

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Guptratn: पिता : "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " दिनभर मेहनत की आग में जलता है , अपना सुख चैन सब एक किनारे रखता है / तब कही बेटे के ... https://draft.blogger.com/blog/page/edit/4696555860969717029/3353985894091161252 https://draft.blogger.com/blog/page/edit/46965558 60969717029/3353985894091161252

Guptratn: तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं ,

Guptratn: तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , : अगर ये बारिश तुम्हारे दिल को न भिगाए , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , अगर ये हवाएं मेरी याद न दिलाएं , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , ... https://draft.blogger.com/blog/post/edit/4696555860969717029/1237466232579035144 https://draft.blogger.com/blog/post/edit/4696555860969717029/1237466232579035144

#GUPTRATN आपके लिए तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं ,

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अगर ये बारिश तुम्हारे दिल को न भिगाए , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , अगर ये हवाएं मेरी याद न दिलाएं , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , किसी झील ,नदी के पानी में मेरा अक्स नज़र न आये , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , अगर रंगों में मेरा रंग नज़र न आये  तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , किसी की हंसी में गर में  न खिलखिलाऊं  तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , तेरी बातों में गर में न आऊँ , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , महफ़िल में न लगे गर तन्हाई , मेरा इंतजार न हो,हर आहट पे न लगे की कहीं मैं तो नहीं आई  तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं , बहुत चाहने वाले है तेरे ,जब  मिलो उनसे और में न होके  भी बीच न आऊँ , तेरे दिल -दिमाग को में  मेरी ही तरह न उलझाऊँ , तो सोच लेना की मुझसे प्यार नहीं  तेरी हर गीत ,तेरी ही आवाज़ में न गाऊँ , तो सोच लेना की ,हाँ .......मुझसे प्यार नहीं 

#पिता_जीवन का आधार

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " दिनभर मेहनत की आग में जलता है , अपना सुख चैन सब एक किनारे रखता है / तब कही बेटे के चेहरे में नयी साइकिल की ख़ुशी , और बेटी के तन पे नए लिबास का रंग फबता है / मां रोके कह देती है दुखड़े सारे ,पर वो तो  मर्द है न , रो भी नहीं सकता है , अपना सुख चैन सब किनारे रखता है ..... दिन भर मेहनत की आग में जलता है , अच्छे खाने का शौक भी शौक़ से रखता है , पर बेटी के हाथों का जला खाना भी स्वाद से चखता है , दिल पे पत्थर रखकर,बेटे की गल्ती पर उसको गाली भी बकता है, बेटी के आंसू गिरने पर उसका दिल भी दुखता है , पिता है जैसे तैसे भी हो, पर सब mangae करता है , अपना सुख चैन सब ..... जो कभी खुद न पढ़ पाया उन महंगे school में , पर खुद के शौक किनारे रखके, बच्चो के स्कूल की वो महंगी फीस भी भरता है , पिता है बच्चो की खुशियों के लिए सब कुछ वो करता है , दिन रात मेहनत की आग में जलता है .... ©