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आपके लिए गुप्तरत्न : बहुत डूबी हूँ बहुत डूबीं हूँ , तुममे लफ्जों मैं इत...

गुप्तरत्न : बहुत डूबी हूँ बहुत डूबीं हूँ , तुममे लफ्जों मैं इत... : बहुत डूबी हूँ बहुत डूबीं हूँ , तुममे लफ्जों मैं इतनी तब ये गहराइयाँ आयी है ,ll सर पे सूरज था तो साथ न था कोई , उतरा जो सू... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : सोच  लो  एक बार पहले किसी को  गिराने से,उसी ज़मीं ...

गुप्तरत्न : सोच  लो  एक बार पहले किसी को  गिराने से, उसी ज़मीं ... : सोच  लो  एक बार पहले किसी को  गिराने से, उसी ज़मीं पे खड़े हो, खुदा देर न करेगा ठोकर लगाने से ll मुझे तो फक्र है इस चाहत  की शिद्धत पे , ... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : दिल मेरा मजबूरी से नहीं मुहब्बत से दबा है ,पर इसे...

गुप्तरत्न : दिल मेरा मजबूरी से नहीं मुहब्बत से दबा है , पर इसे... : दिल मेरा मजबूरी से नहीं मुहब्बत से दबा है , पर इसे ज्यादा दबाना अच्छी बात नहीं ll अहमियत रखते हो ,जानते हो मेरी जिंदगी मैं , पर इसका फा... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है ,कितने ही उजले...

गुप्तरत्न : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है , कितने ही उजले... : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है , कितने ही उजले चहेरे हो ,आते नज़र काले है ll हम दोनों फसें है जिसमे बुरी तरह , किसी और के नहीं हमारे... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है ,कितने ही उजले...

गुप्तरत्न : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है , कितने ही उजले... : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है , कितने ही उजले चहेरे हो ,आते नज़र काले है ll हम दोनों फसें है जिसमे बुरी तरह , किसी और के नहीं हमारे... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

कभी शर्ते तो कभी उलझन guptratn

गुप्तरत्न : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "कभी शर्ते तो ... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " कभी शर्ते तो कभी उलझन , कभी शर्ते तो कभी उलझन , अजीब दास्ताँ रही, कभी... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

आपके लिए आते है अल्फ़ाज़ तुमको देखकर "रत्न"

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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " कभी शर्ते तो कभी उलझन , कभी शर्ते तो कभी उलझन , अजीब दास्ताँ रही, कभी लगा शुरू हुई कभी ख़त्म ll भरने का नाम ही नहीं लेते , बड़े गहरे है ,दिए हुए वो मुझे तेरे सारे ज़ख्म ll अभी तो शुरुवात है लज्ज़त की , देखेंगे जानेमन कब तक कर सकोगे  तुम इसे हज़म ll आते है अल्फ़ाज़ तुमको देखकर "रत्न"  सच है , तुम्हारे ही है अब  ये गीत ग़ज़ल और ये नज़्म ll