गुप्तरत्न : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है ,कितने ही उजले...

गुप्तरत्न : गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है ,
कितने ही उजले...
: गलतफहमियों के अँधेरे बड़े निराले है , कितने ही उजले चहेरे हो ,आते नज़र काले है ll हम दोनों फसें है जिसमे बुरी तरह , किसी और के नहीं हमारे...

"गुप्त रत्न "
" भावनाओं के समंदर मैं "

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