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"गुप्त रत्न" "भावनायों के समन्दर मैं" लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " उड़ेंगे कितने ऊपर आसमान पे, तुम  बस  उनकी उड़ान देखो,  बैठेंगे कब किस डाल पे, तुम बस उनकी थकान देखो , जिस  किसी को लगता है ,कि चला रहा है वो दुनिया , कहो उनको कभी, कि क्यूँ बैठा है यहाँ भगवान् देखो , क्यूँ प्यास का ज़िक्र करते हो हर घडी  तुम, खुदा ने दिया तो है, आधा खाली रहा , पर आधा भरा भी तो है जाम देखो , जो कर रहे हो वही लौट के भी आएगा , गर भरना है ,झोली फूलों से , तो आज कर्मो के तुम अपने बगान देखो, महरूम है ये गलियां ,जात और मजहब के इल्म से , क्या यकीं ,इसमें बस जाएँ कोई, "बनिया " य आकर "खान "देखो , खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में, मान एहसान, करना नही चाहते तुझे और बदनाम देखो ,

#कोरोना सा है ,मौत ही इसका अंजाम होता है भाई

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

guptratn shayri गुप्तरत्न भावनाओं के समन्दर में

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#गुप्तरत्न चुनिदा अल्फ़ाज़ ...आपके लिए

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"गुप्त रत्न" दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं...

"गुप्त रत्न " ख़ामोशी की गहराई मैं" दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं... : दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं, फर्क करते करते मंदिर की पूजा और नमाज़ों मैं// किस किस को इलज़ाम देती ,अपनी दर्द-ए...