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"गुप्त रत्न" "भावनायों के समन्दर मैं आपके लिए" लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जाने क्यूँ उसको सोचकर #jaanekyunuskosochkar

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YouTube link   जाने  क्यूँ उसको सोचकर   © जाने  क्यूँ उसको सोचकर   मेरे चेहरे पर मुस्कराहट सी आ जाती है , वो न था ,न हो सकता था कभी मेरा , फिर भी,जाने क्यूँ उसको सोचकर   गर्मी में  भी ठंडी हवाओं सी सरसराहट सी आ  जाती है , क्या है उससे मेरा वास्ता ,वो तो में भी न जान पायी , फिर भी,जाने क्यूँ उसकोसोचकर  , गर्मी की जलती रेत में  भी हलकी तरावट सी आ जाती है , यूँ तो रोशनी है हर तरफ मेरे फिर भी,जाने क्यूँ उसको सोचकर  , दिल के अँधेरों में एक जगमगाहट सी आ जाती है // ©

#गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न" महक रहे है, तेरी खुशबू से अब तलक ,

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गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न" महक रहे है, तेरी खुशबू से अब तलक , :   तू ही बता खुद को समझाएं कैसे l ये तड़प दिल की,तुम्हे बताएं कैसे ll खेल रहे है, इस क़दर मेरे दिल से l तेरी तरह हम भी,तुझे सताएं कैसे ll ... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न :लफ़्ज़ों में आग रखते है

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गुप्तरत्न ज़नाब याद रखो, उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll, गुप्त रत्न " भावनाओं के समंदर मैं " दिल मैं अपने मुहब्बत और एहसास रखते है , दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम  वो आग रखते है ll  अँधेरी रातों को भी जो रोशनी   से जगमगा दे , कागज़ मैं  अपने ख्यालों के  वो  रोशन चिराग रखते है ll  जुगनू मैं भी चमक दिखती है जिनको  नज़रो मैं अपनी वो  तिशनगी -ए-तलाश रखते है ll  मातम भी मनाते है,यूँ की खबर न हो किसी को,  क्या जानो तुम,दिल मैं अपने अरमानो की लाश रखते है ll  सुन लो!  कहने वालों  हमको "आशिक़ मिज़ाज़ "  ज़ख्म देने वाले से  ही ,हम मलहम की भी आश रखते है ll हीरे है, हम छूटते  है हाथों से, पर टूटते नहीं कभी , हंसते रहते है , दिल मैं पर ज़ख्मो की खराश रखते है ll  जो बदनाम कर खुश हो रहे है,किस्से सुनाकर "रत्न" के ज़नाब याद रखो , उन किस्सों मैं आप  ही जगह ख़ास रखते है ll गिले भूलकर सारे , फिर  भी दुआएं करते है आपके हक़ मैं , कबूल हो दुआएँ ,आपके हक़ मैं  हम अरमान -ए -काश रखते है ll  https://m....

गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में,

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गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर न ज़्म में,: "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " उड़ेंगे कितने ऊपर आसमान पे, तुम  बस  उनकी उड़ान देखो,  बैठेंगे कब किस डाल पे, त... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " उड़ेंगे कितने ऊपर आसमान पे, तुम  बस  उनकी उड़ान देखो,  बैठेंगे कब किस डाल पे, तुम बस उनकी थकान देखो , जिस  किसी को लगता है ,कि चला रहा है वो दुनिया , कहो उनको कभी, कि क्यूँ बैठा है यहाँ भगवान् देखो , क्यूँ प्यास का ज़िक्र करते हो हर घडी  तुम, खुदा ने दिया तो है, आधा खाली रहा , पर आधा भरा भी तो है जाम देखो , जो कर रहे हो वही लौट के भी आएगा , गर भरना है ,झोली फूलों से , तो आज कर्मो के तुम अपने बगान देखो, महरूम है ये गलियां ,जात और मजहब के इल्म से , क्या यकीं ,इसमें बस जाएँ कोई, "बनिया " य आकर "खान "देखो , खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में, मान एहसान, करना नही चाहते तुझे और बदनाम देखो ,

गुप्तरत्न : यकीं क्या वक्त का,जो है आज ये पल "कल"न हो

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गुप्तरत्न : यकीं क्या वक्त का,जो है आज ये पल "कल"न हो : ये मुहब्बत अधूरी ही रहे,कभी मुकम्मल न हो, चन्द अशआर अधूरे ही अच्छे है,कभी पूरी ये ग़ज़ल न हो, तुझको देखकर मचलती रहे ये धड़कने यूं,  य... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : वक़्त देना होगा मुझे ........होश ले जाता है रत्न के...

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गुप्तरत्न : वक़्त देना होगा मुझे ........होश ले जा ता है रत्न के...: वक़्त देना होगा ,मुझे पढ़ने, दिल मेरा एक अध्याय नही ,पूरी किताब है , कभी पूरा  न हो सकेगा, मेरी मुहब्बत, ब्याज पर चलने वाला वो... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#गुप्तरत्न -शायरी aapke liye

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "                                                                                                                   

#गुप्तरत्न : पतझड़ गवाह है,की किसी बाग में हमेशा तो बहार न रही

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गुप्तरत्न : पतझड़ गवाह है,की किसी बाग में हमेशा तो बहार न रही: तेरी "हाँ" की अब में तलबगार न रही , तेरी "न" ही अच्छी है, तेरी, "न" में मेरी हार न रही , तेरी  " हाँ&... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#guptratn शुरुवात में ही वाकिफ थे ,की खत्म जरुर होना था ,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शुरुवात में ही वाकिफ थे ,की खत्म जरुर होना था  , इस कहानी के किरदारों को ,जुदा जरुर होना था ll कहाँ नसीब होता है सबको ,मुझसा चाहने वाला, लाज़मी था ,तुझको तो गुरुर जरुर होना था , ख्वाव थे ,नींद टूट गई मेरी ,                                             कसूर तेरा नहीं, इनको तो चूर होना था , जितना लिखा था ,उतना तो मिल गया , जो नहीं था ,नसीब में, वो तो दूर होना था , तेरी जो ख़ुशी है ,दूरियां मुझसे  ये , इनकार कैसे करूँ ,मुझको तो मंजूर होना था ll

#गुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी ,

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गुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी ,: बहुत दूर तक आ गए ,अब मुश्किल है वापसी , दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , किसी और से दिल लगा भी लेते , पर सूरत ही मिली,न स... दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , बहुत दूर तक आ गए ,अब मुश्किल है वापसी , दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी , किसी और से दिल लगा भी लेते , पर सूरत ही मिली,न सीरत ही आप सी , बहुत तेजी से चलता है ये, सामने से निकल जाता है , वक़्त की चाल ही है, साँप सी  बहुत दूर तक आ गए मुश्किल ...... संभाल के, टूट के फिर जुड़ता नहीं , भरोसे की फितरत है, कांच सी  जल गए  हम रूह तक , छुअन  में थी, आपकी आंच सी , दिल लगाते भी कैसे किसी और से  न सीरत ही मिली न सूरत ही आप सी , क्या-क्या खो दिया तेरे दर पे आकर , पता न चला ,अब भी ज़ारी है जांच सी , दोस्त हम बन न सकें ,न ही रही रंजिशे आपसी  दूर तक आ गए मुश्किल लग रही है वापसी  "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न :#वक़्त देना होगा मुझे

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गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

आपके लिए"

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