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लिखी हुयी इबारत हूँ ,चंद पढ़ डालिए जनाब //

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मेरे बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब, लिखी हुयी इबारत हूँ ,चंद पढ़ डालिए जनाब // सूरत से न हो पायेगा, अनुमान-ए-हसरते , समझना है गर मुझे ,तो आँखों मैं आँखे डालिए जनाब // मोम सी पिघली हूँ, आपकी निगाहें-ए-तपिश मैं , पत्थर थी बनी ,जब से धोखे बहुत खा लिए जनाब // अकेली ,उलझी हुयी ख़ूबसूरत मैं पहेली हूँ, सुलझ जाएगी न इक दिन सुलझाइए जनाब // छिनना ही चाहते हो ,न चुराना ही "रत्न"को, फिर कीमत अदा कीजिये या खुदा से मांग डालिए जनाब // भटकी हुयी लहरे थी ,तूफ़ान-ए-समन्दर मैं, घडी भर को सही,आपकी महफ़िल मैं जज़ीरे पा लिए जनाब // जीत जाइये या हरा दीजिये हम को , बस थम जाइये ,अब  इतना  न  हमसे  खेलिए  , जनाब // मचल जाती है लहरे,समन्दर मैं तेरे ख्यालो से, थाम लो इन्हें,वरना आपको डुबोकर ही मानेगी जनाब// सामने आये आप, घबराकर धडकने ही रुक गई, कैसे समझाऊ खुदको ,आप ही समझाइये जनाब // एक घडी भी आपका ख्याल जाता नही दिल से , क्या चाहते है , अब  फरमाइए /बहुत मुझे सता लिए जनाब // लहरों मैं हलचल है ,बादल भी है  सबब , तूफ़ान दोनों मैं है ,इल्ज़ाम बस मत समन्दर पर डालिए जनाब // पहले ही कम थी  क्या हलचल लहरों मैं,

बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब,लिखी हुयी...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : मेरे बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब, लिखी हुयी... : मेरे बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब, लिखी हुयी इबारत हूँ ,थोडा थोडा पढ़ डालिए जनाब // सूरत से न हो पायेगा, अनुमान-ए-हसरते , समझना है... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : वाह  क्या चीज़ है ..........कौन कहता है, शराब बुर...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : वाह  क्या चीज़ है .......... कौन कहता है, शराब बुर... : वाह  क्या चीज़ है .......... कौन कहता है, शराब बुरी चीज़ है , दुनिया भुला दे, अरे ये तो वो चीज़ है // लाखों गम,लाखों तकलीफे, सब कुछ मिटा... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

कौन कहता है शराब..................

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " वाह  क्या चीज़ है .......... कौन कहता है, शराब बुरी चीज़ है , दुनिया भुला दे, अरे ये तो वो चीज़ है // लाखों गम,लाखों तकलीफे, सब कुछ मिटा दे, सच ये वो चीज़ है // सुर भी है,साज़ भी है ,संगीत भी है आवाज़ भी है , बना दे मधुर जिंदगी ,ये वो चीज़ है // लगती है कड़वी,किसी को वेस्वाद, बना दे सब मीठा,पीने के बाद ये वो चीज़ है // आँखों से पीता ,कोई तो लेकर बैठा पैमाना , दोनों मैं है गज़ब का नशा,ये क्या चीज़ है // कौन कहता है शराब.................. कौन चाहता है होश मैं रहना , कर दे बेखुद,"रत्न "को वाह ये  क्या चीज़ है // या तो दे शराब ,कोई या महफ़िल तेरी , मौज़ूद है नशा,भुला दे गम दोनों क्या चीज़ है // कौन कहता है शराब बुरी चीज़ है, सब गम मिटा दे ,कसम से ये तो वो चीज़ है // बेखुद- होश मैं न रहना 

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : बता भी दो क्यों रहते हो मुझसे नाराज़,याद दिलाती हू...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : बता भी दो क्यों रहते हो मुझसे नाराज़, याद दिलाती हू... : बता भी दो क्यों रहते हो मुझसे नाराज़, याद दिलाती हूँ,तुमको बीती बातें कुछ आज,// मैं अर्जुन थी बने तुम श्रीकृष्ण ,जीवन महाभारत के मेरे, द... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : यकीं है ,तुमको आना है एक दिन ,आस लेकिन दिल को काफ...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : यकीं है ,तुमको आना है एक दिन , आस लेकिन दिल को काफ... : यकीं है ,तुमको आना है एक दिन , आस लेकिन दिल को काफी नहीं होती / सजा मेरे पास कुछ भी नहीं तेरे लिए , पर खुदा के दर पर माफ़ी नही होती सज़... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " यकीं है ,तुमको आना है एक दिन , आस लेकिन दिल को काफी नहीं होती / सजा मेरे पास कुछ भी नहीं तेरे लिए , पर खुदा के दर पर माफ़ी नही होती सज़दा तेरे दर पर कर काफ़िर मैं हो गई, मुहब्बत से बड़ी कोई इबादत  नहीं होती // है,मुद्दतो की तड़प और आसुंओ का फैसला , होगा वक़्त से इतनी नाइंसाफी भी नही होती // हो सके तो पढ़ मेरे भीगे लफ्जों को , आंसुओ से बड़ी कोई स्याही नहीं होती /

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : ले नहीं देते तुम पर हम इल्जाम ,मुहब्बत का गुनाह,भ...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : ले नहीं देते तुम पर हम इल्जाम , मुहब्बत का गुनाह,भ... : ले नहीं देते तुम पर हम इल्जाम , मुहब्बत का गुनाह,भी रहा मेरे ही नाम,// किस किस गुनाह की माफ़ी दूँ तुम्हे , बेबसी,बख्श दिया तुझे नही लिया ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : बेचैनिया ये हद से गुजरने लगी अब,बताती हूँ मैं क्य...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : बेचैनिया ये हद से गुजरने लगी अब, बताती हूँ मैं क्य... : बेचैनिया ये हद से गुजरने लगी अब, बताती हूँ मैं क्या चाहती हूँ .// तेरी बाहों मैं आना है मुझको अब, तेरे सीने से लगना चाहती हूँ, // कुछ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा।पढोगे जब ज...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा। पढोगे जब ज... : कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा। पढोगे जब जब ,मैं तब नज़र मैं आऊंगा।। माना हर क्षण मेरा जाना पीड़ा तुमको देता है। दर्द वियोग का ह्... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

कहा था शब्दों मैं.........

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा। पढोगे जब जब ,मैं तब नज़र मैं आऊंगा।। माना हर क्षण मेरा जाना पीड़ा तुमको देता है। दर्द वियोग का ह्रदय तुम्हारा वर्षो से ये सहता है।। तुम्हारे ह्रदय मैं,प्रतिबिम्ब है मेरा,कब से झांककर देखो अंतरमन मैं मिल जाऊंगा। कहा था शब्दों मैं......... माना मेरा जाना तुम्हे दर्द बहुत देता है,। ईश्वर जो चाहता है वही परीक्षा लेता है।। ये रूप,रंग ,शब्द ,सोच सब तुमसे पाया था। सब वहां छोड़कर मैं इस दुनिया मैं आया था। तुम खुद मैं देखो ,मैं मिल जाऊंगा। नही आऊंगा,वापस पर सदा तुम ही रह जाऊंगा।। तुम यदि तुम दुखी रहे ,तो मैं स्वयं को कैसे यहाँ खुश रख पाउँगा ।। कहा था मैंने शब्दों मैं मिल जाऊँगा,पढोगे जब-2 तब नज़र आउंगा ।। कोशिश की है "रत्न" ने आपकी भावनाओ को छूने की, कवी ह्रदय कहता है,शायद मैं कलम से अपनी आपका दर्द छु पाउँगा।। "गुप्त रत्न"
"गुप्त रत्न " " ख़ामोशी की गहराई मैं  " खो गए सारे रास्ते,तुम तक आने के लिए, बचा भी नहीं कोई,अब मंज़िल का पता बताने के लिए ॥ भटक गई हूँ,राहों मैं ज़िंदगी की, बची भी कहाँ मंज़िले,अब पाने के लिए ॥ गुमां न था आवारगी होगी इस क़दर , दिल तरसेगा एक अदद ठिकाने के लिए ॥ खो गए सारे ..................... पूछे जो कोई तन्हाई का सबब ,तो बताऊँ क्या? दर्द-ए-दास्ताँ है,किस्सा नहीं ये लोगो का मन बहलाने के लिए ॥ मुहब्बत ही कीमत रही "रत्न" की , खरीदार नहीं मिलते,अक्सर महंगी कीमत चुकाने के लिए ॥

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : खो गए सारे रास्ते,तुम तक आने के लिए,बचा भी नहीं क...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : खो गए सारे रास्ते,तुम तक आने के लिए, बचा भी नहीं क... : खो गए सारे रास्ते,तुम तक आने के लिए, बचा भी नहीं कोई,अब मंज़िल का पता बताने के लिए ॥ भटक गई हूँ,राहों मैं ज़िंदगी की, बची भी कहाँ मंज़िले,... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : तो मेरा नाम नहीअसर हो रहा, थोडा-थोडा दिल पर अभी...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : तो मेरा नाम नही असर हो रहा, थोडा-थोडा दिल पर अभी ... : तो मेरा नाम नही असर हो रहा, थोडा-थोडा दिल पर अभी तुमको दीवाना न बना के छोड़ा , तो मेरा नाम नही // यूँ तो बहुत सफ़र किया,तूने हुस्न-ए-बस... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "बिना किसी श...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " बिना किसी श... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " बिना किसी शर्त ,बिना किसी रस्मों और वादों के, सीने से लगकर कहना चाहती हूँ,अपन... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " बिना किसी शर्त ,बिना किसी रस्मों और वादों के, सीने से लगकर कहना चाहती हूँ,अपनी साँसों से // कैसे बोलूं छुते हो मुझको,बिन छुए भी अपनी निगाहों से करती हूँ महसूस आपको ,अब बेनाम इन एहसासों से // रख दो हाथ सीने मैं ज़रा,धड़कन मचल रही है, आराम मिले कुछ,तड़प गए हम बेकाबू ज़ज्बातो से // नींदे भी बगावत करने लगी ,हमसे अब रातों मैं, बनकर हकीक़त एक रात आ जाओ,मेरे ख्वाबों से// सारी हया ,लिहाज़,छोड़ी अब,"रत्न"ने मजबूर हुये,इस क़दर दिल के हालातो से //

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : आप  ही बता दो ,गर है कोई और तरीका इज़हार-ए -हाल का...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : आप  ही बता दो ,गर है कोई और तरीका  इज़हार-ए -हाल का... : आप  ही बता दो ,गर है कोई और तरीका  इज़हार-ए -हाल का / फस गए बुरे ,निकलना है बाहर बता दो तोड़, कोई इस जाल का // यूँ तो गुज़रे है,सदियों त... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न" "हिंदी कवितायेँ", : नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,सागर ...

"गुप्त रत्न " : नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,सागर ... : नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है, सागर सागर भटकूँ मैं,प्यास बुझायें वो दरिया मेरे अन्दर है // शांत कहाँ ह्रदय मेरा,... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कौन  चाहता है किसी से सज़दा कराना ,नहीं चाहते हम ,...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कौन  चाहता है किसी से सज़दा कराना , नहीं चाहते हम ,... : कौन  चाहता है किसी से सज़दा कराना , नहीं चाहते हम ,खुदको खुदा बनाना ॥ काफिर बन जाएँ कोई यहाँ ,तौबा "रत्न" खुदको क्यूँ इस गुनाह... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कभी मनायी ,ईद मैंने और तूने साथ दिवाली है ,बांटी ...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कभी मनायी ,ईद मैंने और तूने साथ दिवाली है , बांटी ... : कभी मनायी ,ईद मैंने और तूने साथ दिवाली है , बांटी मैंने सेवई,तूने भी आँगन मेरे डाली रंगोली है  । दियें जलाएं है, तूने,और रातें वो सजा ली... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "बैचैनी दिखने...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " बैचैनी दिखने... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " बैचैनी दिखने लगी आँखों मैं मेरी, मत इतना भी तरसाओ मुझको !! बदलकर रोज़-... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " बैचैनी दिखने लगी आँखों मैं मेरी, मत इतना भी तरसाओ मुझको !! बदलकर रोज़-रोज़ यूं शर्ते , मत इस क़दर आजमाओ मुझको !! उलझी हुई है,जिंदगी मेरी ज़ुल्फो की तरह, मत इन शर्तो की पहेली मैं और उलझाओं मुझको!! शर्त थी बारिश मुलाक़ात की , मौसम भी कहने लगा,मत अब इंतज़ार करवाओ मुझको !! मुमकिन है दिल को मंज़ूर हो सब, बदली है गर,शर्ते तो बताओ तो मुझको!! सामने बैठकर,पढ़ती हूँ निगाहों मैं आपकी , तड़प ये मेरी तरह, बताओ की न बताओ मुझको !! मुश्किल है सहना रात-दिन की तड़प ये, छोड़ कर कहती हूँ,लिहाज़ अब गले से लगाओ मुझको!!

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : ज़रूरी है खुद पर गुरूर होनाइतना भी क्या किसी नशे...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : ज़रूरी है खुद पर गुरूर होना इतना भी क्या किसी नशे... : ज़रूरी है खुद पर गुरूर होना इतना भी क्या किसी नशे मैं चूर होना , की हकिकत से पड़े दूर होना // निगाहों औरआवाज़ मैं खो गई, माना की हुनर म... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " ज़रूरी है खुद पर गुरूर होना इतना भी क्या किसी नशे मैं चूर होना , की हकिकत से पड़े दूर होना // पर तड़प ही न दिखे किसी की ,ज़रा भी  इस  कदर भी क्या मगरूर होना// की हकीकत से पड़े दूर होना......................................... थामा है कैसे धडकनों को,आपके सामने बैठकर, दिल पूछ बैठा,कियूँ भी क्या "रत्न"मजबूर होना / / की हकीक़त से पड़े दूर होना.................. इतनी आदत अच्छी नहीं परिस्तश की,"रत्न", सबक आपका ही है ,ज़रूरी है खुद पर थोडा गुरूर होना // कम सबब नही ,दीवानों की बेखुदी का हम भी , शुरू हो चुका आप पर भी मेरा अब सुरूर होना // शख्सियत ही खोने लगी आपमे खोकर,, गुमां हुआ अच्छा नही किसी मैं अपना वजूद खोना // रखना पड़ता है ,अपने भी रुतबे का ख्याल, नामंज़ूर है, सुकून-ए-दिल मैं बेआबरू होना// लाज़मी  है , इस हकीक़त से रूबरू होना , अच्छा नहीं किसी के नशे मैं इस  क़दर चूर होना................................... -------------------------------- परिस्तिश -पूजा करना ,किसी को बहुत मानना  सुरूर -नशा  मगरूर

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : ज़रूरी है खुद पर गुरूर होनाइतना भी क्या किसी नशे...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : ज़रूरी है खुद पर गुरूर होना इतना भी क्या किसी नशे... : ज़रूरी है खुद पर गुरूर होना इतना भी क्या किसी नशे मैं चूर होना , की हकिकत से पड़े दूर होना // निगाहों औरआवाज़ मैं खो गई, माना की आप हुन... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " ख़ामोशी की गहराई  मैं,बारिशों मैं हम...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " ख़ामोशी की गहराई  मैं, बारिशों मैं हम... : "गुप्त रत्न " ख़ामोशी की गहराई  मैं, बारिशों मैं हम भी  बहुत तरस लिए,अब , मिले खुलकर दूर कही बारिशों मैं हम भी // क्या ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "मंज़ूर कर भ...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " मंज़ूर कर भ... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " मंज़ूर कर भी लूँ तेरे पास आना,पर तुमको भी होगा ये बाताना/ पल दो पल की नजदीकिया... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "मेरा लिहाज़...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " मेरा लिहाज़... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " मेरा लिहाज़ मुझे बोलने न देगा, बेबसी,! राज-ए-दिल मुझे खोलने न देगा // किस क़द... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, : नारी तेरी अजाब है गाथा,पल-पल तेरी राहों मैं बाधा /...

"गुप्त रत्न " : नारी तेरी अजाब है गाथा,पल-पल तेरी राहों मैं बाधा /... : नारी तेरी अजाब है गाथा, पल-पल तेरी राहों मैं बाधा // जीवन बीते दासी जैसा, कहने को पति का हिस्सा आधा // कर दी अद्भुद रचना उसने , ... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न "भावनायों के समन्दर मैं"खाक नही होना ,...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न "भावनायों के समन्दर मैं" खाक नही होना ,... : गुप्त रत्न "भावनायों के समन्दर मैं" खाक नही होना , देर मत करो.......... https://www.facebook.com/guptratn/ देखने क... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न "भावनायों के समन्दर मैं"खाक नही होना ,...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न "भावनायों के समन्दर मैं" खाक नही होना ,... : गुप्त रत्न "भावनायों के समन्दर मैं" खाक नही होना , देर मत करो.......... https://www.facebook.com/guptratn/ देखने क... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", : अनुशासन और इमानदारी मेरा स्वाभाव है,नही कृत्रिम ...

गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", अनुशासन और इमानदारी मेरा स्वाभाव है, नही कृत्रिम ... : अनुशासन और इमानदारी मेरा स्वाभाव है, नही कृत्रिम ये भाव है ,// विचारमय हूँ कब से मैं,कैसे जीते है ? जिनमे ये नही सदभाव  है // जो करत... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",: गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई मैं"अर्जुन की तरह सो...

गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", अर्जुन की तरह सो... : गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई मैं" अर्जुन की तरह सोच मैं डूबी थी, सामने अपने है,तरकश से तीर निकालूं कैसे चलाने के लिए// युद्ध ... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई मैं"अर्जुन की तरह सो...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई मैं" अर्जुन की तरह सो... : गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई मैं" अर्जुन की तरह सोच मैं डूबी थी, सामने अपने है,तरकश से तीर निकालूं कैसे चलाने के लिए// युद्ध ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " बेसब्र होकर तड़पा रही .

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं बेसब्र होकर तड़पा रही -----------... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " --------------------------------------------- बेसब्र होकर तडपा रही है ,बैचनिय... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "बेसब्र होकर...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " बेसब्र होकर... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " बेसब्र होकर तडपा रही है ,बेचिनियां , बहकने दो अब मुझे या संभल जाने दो   // ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न,खोमोशी की गहराई मैं अच्छा लगने लगा है...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न, खोमोशी की गहराई मैं  अच्छा लगने लगा है... : गुप्त रत्न, खोमोशी की गहराई मैं  अच्छा लगने लगा है !! मुझे फिर क्या लगने लगा है, आपके ख्यालों मैं रहना,अच्छा लगने लगा है !! नहीं च... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न,खोमोशी की गहराई मैं अच्छा लगने लगा है...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : गुप्त रत्न, खोमोशी की गहराई मैं  अच्छा लगने लगा है... : गुप्त रत्न, खोमोशी की गहराई मैं  अच्छा लगने लगा है !! मुझे फिर क्या लगने लगा है, आपके ख्यालों मैं रहना,अच्छा लगने लगा है !! नहीं च... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": रोक नदियों को सकते हो,/समन्दर को किसने बाँधा है ,...

"गुप्त रत्न ": रोक नदियों को सकते हो,/ समन्दर को किसने बाँधा है ,... : रोक नदियों को सकते हो,/ समन्दर को किसने बाँधा है ,// गर हुकूमत मुझ पर मुहब्बत है/ तो इश्क का तुझे इल्मआधा है // नसीब की दास्ताँ होती ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": क्या करे की अब कुछ समझ आता नहीं ,छाया है कोहरा घन...

"गुप्त रत्न ": क्या करे की अब कुछ समझ आता नहीं , छाया है कोहरा घन... : क्या करे की अब कुछ समझ आता नहीं , छाया है कोहरा घना ,की कुछ नज़र आता नहीं , चले थे कहाँ ,और पहुंचे है कहाँ ,पर आकर हम, दुरी है बराबर ,लौ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": थोडा तो रंग आँखों मैं भरने दो,दिल जो चाहता,वो तो ...

"गुप्त रत्न ": थोडा तो रंग आँखों मैं भरने दो, दिल जो चाहता,वो तो ... : थोडा तो रंग आँखों मैं भरने दो, दिल जो चाहता,वो तो करने दो। बहुत ज़्यादा है,तेरी मुहब्बत की कैद थोडा तो मुझे खुली हवा मैं उड़ने दो। बेशक... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": खोमोशी की गहराई मैं........आजकल मैं तनहा नही ,ह...

"गुप्त रत्न ": खोमोशी की गहराई मैं........ आजकल मैं तनहा नही , ह... : खोमोशी की गहराई मैं........ आजकल मैं तनहा नही , हर घड़ी तुम भी  साथ रहते हो / मत पूछो समन्दर का हाल, साथ लहरों के तुम भी बहते हो // ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": ख़ामोशी के गहराई मैं  .....गुप्त रत्न नही रहे काब...

"गुप्त रत्न ": ख़ामोशी के गहराई मैं  .....गुप्त रत्न  नही रहे काब... : ख़ामोशी के गहराई मैं  .....गुप्त रत्न  नही रहे काबू में, रोक रही हूँ कब से मैं / ज़ज्बात हुयें है बागी से,टोक रही हूँ कब से मैं / खोलें न य... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": -------------------------------------सफ़र कैसा था,...

"गुप्त रत्न ": ------------------------------------- सफ़र कैसा था,... : ------------------------------------- सफ़र कैसा था,आपके  साथ दास्तान मत पूछो , सुकून क्या था,मंदिर की घंटी या सुनकर अनजान मत पूछो // बड़ा... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": सता ले,चाहे जितने लें इम्तिहान,अब आप भी ले इक बात ...

"गुप्त रत्न ": सता ले,चाहे जितने लें इम्तिहान,अब आप भी ले इक बात ... : सता ले,चाहे जितने लें इम्तिहान, अब आप भी ले इक बात जान, हारना मुझको मंज़ूर नही, चाहे जो भी हो अब अंजाम // बनिया हूँ नहीं करती वो सौदे, जहाँ ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न ": चमक के लिए जरुरी है.....................=========...

"गुप्त रत्न ": चमक के लिए जरुरी है..................... =========... : चमक के लिए जरुरी है..................... ================================== बिना तुम्हारे मेरे जिंदगी की किताब अधूरी है, आकर देते अंत... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " सता ले,चाहे जितने लें इम्तिहान, अब आप भी इक बात  लें  जान,// हारना मुझको मंज़ूर नही, चाहे जो भी हो अब अंजाम // बनिया हूँ नहीं करती वो सौदे, जहाँ मुमकिन हो नुकसान// तड़प का इकरार भी किया, निगाहों से भी दिया पैगाम // ऐसी भी क्या मसरूफियत ? , दे न सको अपनी एक शाम // मुबारक हो मजबूरियां आपको, नही मुझे इनसे मतलब न काम // सजदा करा लिया रत्न से,फिर भी अब  रखते हो क्या खुदा बनने काअरमान // Posted by Gupt Ratn at 10:02