"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : खो गए सारे रास्ते,तुम तक आने के लिए,बचा भी नहीं क...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : खो गए सारे रास्ते,तुम तक आने के लिए,
बचा भी नहीं क...
: खो गए सारे रास्ते,तुम तक आने के लिए, बचा भी नहीं कोई,अब मंज़िल का पता बताने के लिए ॥ भटक गई हूँ,राहों मैं ज़िंदगी की, बची भी कहाँ मंज़िले,...

"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

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