बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब,लिखी हुयी...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : मेरे बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब,
लिखी हुयी...
: मेरे बारे मैं इतने भी वहम  न पालिए जनाब, लिखी हुयी इबारत हूँ ,थोडा थोडा पढ़ डालिए जनाब // सूरत से न हो पायेगा, अनुमान-ए-हसरते , समझना है...

"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

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