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सुनने उस एक तराने की लिए ll

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " https://m.starmakerstudios.com/d/playrecording?app=tvp&from_user_id=5348024334707325&is_convert=true&recordingId=5348024549343124&share_type=fb&fbclid=IwAR1vNJwZbXtabULaRYNW9CbIQDGQzvUPFSPEE_IyjkaxFGZHNhKZFhDn6_0 नही स्वरना किसी को दिखाने के लिए ये जिंदगी चुनी है खुद मैंने, नही जीना मुझे ज़माने के लिए ll मैं जो हूँ बस वहीँ हूँ, नही सवंरना मुझे किसी को दिखाने के लिएll इतनी आसानी से नही मिलेगी , बहुत सफ़र वाकिं है ,मंजिल को पाने को लिए ll बहुत जलना होगा,2* खुदको अभी कुंदन बनाने के लिए ll सीता की तरह पाकीज़गी साबित करें, नही जी,धरती नही फटेगी यहाँ खुद मैं हमें समाने के लिएll आदत ये जीत की  लगी क्या मुझको, लोग जाने क्या-क्या कर जायेंगे अब मुझे हराने के लिए ll क्यूँ बुला बैठी दुश्मन को दिल मैं,? दोस्त क्या कम थे?,मुझे सताने के लिए ll इक शाम की ही तो तलबगार हूँ मैं , सुनना है जो,तेरी आवाज़ मैं उस अफ़साने के लिएll हो जाएँ जिससे तरन्नुम-ए-फिजा , बैठी हूँ कब से,सुनने उस एक तराने की लिए ll बोलूं

#Guptratn#हर स्टूडेंट की दर्द भरी कहानी गुप्तरत्न की जुबानी- बाल-दिवस

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "                            पुरे साल मैंने क्या किया, कभी बाजू मैं बैठी लड़की को देखा, कभी क्लास बंक किया । जब होता था revision मेरी होती थी अक्सर तबियत ख़राब, लगती थी प्यास आती थी वाशरूम की याद, जब समझती थी टीचर चेप्टर हमने भी खूब उड़ाए पीछे बैठकर कागज़ के हेलीकाप्टर ॥ फ़िक्र किसने की कभी एग्जाम की पर खबर थी बराबर फेसबुक व्हाट्सप्प और इंस्टाग्राम की । खूब समय बिताया हमने टीचर्स को कॉपी करने मैं, दोस्तों के खेल  में ,हंसी और कभी झगड़ने में ॥ पर वक़्त ने भी गज़ब सितम ढाया , बीत गया साल अब फ़ाइनल एग्जाम का वक़्त आया ॥ न अब कोई सहारा न कोई अपना नज़र आया , जबb सामने question  पेपर मैडम ने थमाया ॥ हमने भी कर लिए हालातो से समझौता , बस हल किये प्र्शन दो या एकलौता ॥ अब आयी रिजल्ट की बारी , पड़ गयी साल भर की करतुते भारी। मैडम ने भी दिए भर भर के जीरो , असलियत सामने आ गई, बनते थे क्लास में बहुत हीरो ॥ अब आया वो दिन भी अलबेला, जब लगना था टीचर्स और पेरेंट्स का मेला ॥ दोनों मिले खूब बातें हुई हमारी , अब थी बस घर चलने की त

कोरोना सा है ,मौत ही इसका अंजाम होता है भाई

गुप्तरत्न : कोरोना सा है ,मौत ही इसका अंजाम होता है भाई : "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : जानवर सा इंसान रखती हूँ

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गुप्तरत्न : जानवर सा इंसान रखती हूँ "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

guptratn shayri : गुप्तरत्न -शायरी

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गुप्तरत्न : गुप्तरत्न -शायरी: "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "                                                                      ... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

नया गीत खुदा की मेहरबानी

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" गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " खुदा की मेहरबानी , खुदा की मेहरबानी , यूँ मिला मुझको तू ,जैसे प्यासे को पानी , खुदा की मेहरबानी......2 आँखे तेरी, मानो  यूँ हो शराब , छूना तेरा,मानो यूँ हो आग  गुनगुनाती है धड़कन, यूँ की जैसे  तू हो राग , बहता है मुझमे यूँ तू की हो  पानी सी रवानी .... खुदा की मेहरबानी ....2 यूँ मिला मुझको तू ,जैसे प्यासे को पानी , नए से है , ये एहसास , इनसे थी मैं अनजानी  खुदा की मेहरबानी , मिला यूँ ,जैसे की प्यासे को पानी  खुदा की मेहरबानी ....2 अब जो पाया है तुमको , न छोड़ेगे कभी , कहते है मिलकर ये , न तोड़ेगे कभी , ये कसम मिलकर हमको है खानी  खुदा की मेहरबानी ....2 खुदा की मेहरबानी , मिला यूँ ,जैसे की प्यासे को पानी 

#गुप्तरत्न बस दिन आज हो

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शायरी के भी अजब अंदाज़  हो , हो खुलेआम बातें ,फिर भी सब राज हो , कब  तक उड़ान भरेंगे इन छोटे छोटे परों से हम , उड़ना चाहते है यूँ , की यूँ बाज हो , क्या जरुरत है तकरीर की सर -ऐ -महफ़िल , खामोशियां बयां हो जाएँ ,आँखों से यूँ से बात हो, बस आज कल आज में बीत न जाएँ वक़्त ये , मिलो हमसे ,तो तुम मिलो यूँ , की बचा जिंदगी का ,बस दिन आज हो .......................

देना है जो वो हर पैगाम लिखते है

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

# बिजली भी छोड दे, बादल के सीने में,निशां...

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गुप्तरत्न : #गुप्तरत्न बिजली भी छोड दे, बादल के सीने में,निशां...: मेरे ज़हन से तेरा एहसास नही जाता, की मेरे होठों से तेरे होठों का स्वाद नही जाता ।। यूं अटकी है,मेरि नजरें तेरी नजरों पे कम्बख्त, कि... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

आपके लिए गुप्तरत्न : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी...

गुप्तरत्न : गुप्तरत्न : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी... : गुप्तरत्न : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सक... : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सकें, छुप जाएँ तेरी बा... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "