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गुप्तरत्न :लफ़्ज़ों में आग रखते है

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गुप्तरत्न ज़नाब याद रखो, उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll, गुप्त रत्न " भावनाओं के समंदर मैं " दिल मैं अपने मुहब्बत और एहसास रखते है , दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम  वो आग रखते है ll  अँधेरी रातों को भी जो रोशनी   से जगमगा दे , कागज़ मैं  अपने ख्यालों के  वो  रोशन चिराग रखते है ll  जुगनू मैं भी चमक दिखती है जिनको  नज़रो मैं अपनी वो  तिशनगी -ए-तलाश रखते है ll  मातम भी मनाते है,यूँ की खबर न हो किसी को,  क्या जानो तुम,दिल मैं अपने अरमानो की लाश रखते है ll  सुन लो!  कहने वालों  हमको "आशिक़ मिज़ाज़ "  ज़ख्म देने वाले से  ही ,हम मलहम की भी आश रखते है ll हीरे है, हम छूटते  है हाथों से, पर टूटते नहीं कभी , हंसते रहते है , दिल मैं पर ज़ख्मो की खराश रखते है ll  जो बदनाम कर खुश हो रहे है,किस्से सुनाकर "रत्न" के ज़नाब याद रखो , उन किस्सों मैं आप  ही जगह ख़ास रखते है ll गिले भूलकर सारे , फिर  भी दुआएं करते है आपके हक़ मैं , कबूल हो दुआएँ ,आपके हक़ मैं  हम अरमान -ए -काश रखते है ll  https://m.starmakerstudios.com/share?recording_id=5348024548743488&share_type=fb "गुप

#गुप्तरत्न :तुझ पर असर करे मेरी तड़प में वो आह नहीं ,

"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " कई बार इंतज़ार किया हमने,बची अब कोई राह नही  खुदा ही जाने, की समझा नहीं तू ,या तुझे मेरी परवाह नहीll  जितने बार किये इशारे ह्म्मने उतनी बार रुके भी हम , पर दिल ने  कह दिया अब ,की हां तुम्हे मेरी कोई चाह नही ,ll थक कर मेरी मुहब्बत ने कहा की और अब हौसला नहीं मुझमे  तुझ पर असर करे मेरी तड़प में वो आह नहीं , तेरे नाम के सिवा गर लिया है मेरी जुबान ने नाम कोई, तो दे सज़ा,खुदा जानता उससे बड़ा कोई इस बात का गवाह नहीं ii