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#पिता_जीवन का आधार

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " दिनभर मेहनत की आग में जलता है , अपना सुख चैन सब एक किनारे रखता है / तब कही बेटे के चेहरे में नयी साइकिल की ख़ुशी , और बेटी के तन पे नए लिबास का रंग फबता है / मां रोके कह देती है दुखड़े सारे ,पर वो तो  मर्द है न , रो भी नहीं सकता है , अपना सुख चैन सब किनारे रखता है ..... दिन भर मेहनत की आग में जलता है , अच्छे खाने का शौक भी शौक़ से रखता है , पर बेटी के हाथों का जला खाना भी स्वाद से चखता है , दिल पे पत्थर रखकर,बेटे की गल्ती पर उसको गाली भी बकता है, बेटी के आंसू गिरने पर उसका दिल भी दुखता है , पिता है जैसे तैसे भी हो, पर सब mangae करता है , अपना सुख चैन सब ..... जो कभी खुद न पढ़ पाया उन महंगे school में , पर खुद के शौक किनारे रखके, बच्चो के स्कूल की वो महंगी फीस भी भरता है , पिता है बच्चो की खुशियों के लिए सब कुछ वो करता है , दिन रात मेहनत की आग में जलता है .... ©

गुप्तरत्न :लफ़्ज़ों में आग रखते है

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गुप्तरत्न ज़नाब याद रखो, उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll, गुप्त रत्न " भावनाओं के समंदर मैं " दिल मैं अपने मुहब्बत और एहसास रखते है , दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम  वो आग रखते है ll  अँधेरी रातों को भी जो रोशनी   से जगमगा दे , कागज़ मैं  अपने ख्यालों के  वो  रोशन चिराग रखते है ll  जुगनू मैं भी चमक दिखती है जिनको  नज़रो मैं अपनी वो  तिशनगी -ए-तलाश रखते है ll  मातम भी मनाते है,यूँ की खबर न हो किसी को,  क्या जानो तुम,दिल मैं अपने अरमानो की लाश रखते है ll  सुन लो!  कहने वालों  हमको "आशिक़ मिज़ाज़ "  ज़ख्म देने वाले से  ही ,हम मलहम की भी आश रखते है ll हीरे है, हम छूटते  है हाथों से, पर टूटते नहीं कभी , हंसते रहते है , दिल मैं पर ज़ख्मो की खराश रखते है ll  जो बदनाम कर खुश हो रहे है,किस्से सुनाकर "रत्न" के ज़नाब याद रखो , उन किस्सों मैं आप  ही जगह ख़ास रखते है ll गिले भूलकर सारे , फिर  भी दुआएं करते है आपके हक़ मैं , कबूल हो दुआएँ ,आपके हक़ मैं  हम अरमान -ए -काश रखते है ll  https://m....

#Guptratn:अच्छे-अच्छे सिकंदर यहाँ वक़्त की लिए मार बैठे है॥

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तुम  बाताओ तो अपनी कीमत सही, कब से,बाज़ार में तेरे खरीददार बैठे है , क्या मांगोगे ज्यादा से ज्यादा तुम, हम तो हथेली पे  जां लिए यार बैठे है।    छिप के लड़े भी तो क्या लड़े तुम   सामने तो आओ हम भी कब से लिए हथियार बैठे है,   लगता है जिनको की ये तमाशा है इक आदमी का,   भूलते है, कि ऊपर वाले के खेल में और भी किरदार बैठे है ॥ कहते है यार,कि गिर गए है, बहुत नीचे, करें भी क्या? गर्द  पे जो दिल हार बैठे है ॥ क्यों तकाज़ा करते हो हर घडी मुहब्बत का अपनी, इस दिल-ए-बस्ती में ,मेरे और भी कर्ज़दार बैठे है ॥ डूबना तो  तय है दिल कि कश्ती का मेरे,  #गुप्तरत्न, मझधार में हम भी तो कब से बिन लिए पतवार बैठे है ॥   कैसे होगी इक राय कायम,  किसी मस्ले पे  कभी,  वो भी तो मिली -जुली सरकार लिए बैठे है ॥  बहुत नचाते थे , सल्तनत थी उनके हाथों में कभी, चुप है,कठपुतली बने, दूजे हाथ अब उनके लिए तार बैठे है ।  बदलता है मौसम बदलती है रुख हवाएं भी...

डर लगता है

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : मुझे दोस्ती से डर लगता है,मुझे मुहब्बत से डर लगता ...

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गुप्तरत्न : मुझे दोस्ती से डर लगता है,मुझे मुहब्बत से डर लगता ... :  मु झे दोस्ती से डर लगता है, मुझे मुहब्बत से डर लगता है , डरती हूँ जुड़ने से लोगो से , क्यूंकि मुझे अलग होने से डर लगता है ॥             दीखते नहीं है चेहरे लोगो के ठीक से ,               इसलिए मुझे अंधेरो से डर लगता है                आँखे चौंधिया जाती है, इसलिए               मुझे तेज उजालों से डर लगता है ॥ मुददते हुई ठिकाना छोड़े हुए , की मुझको अब बसने से डर लगता है , आवारगी का आलम भी रहा गज़ब, की राहों पर ही घर लगता है, की मुझे अब घर से डर लगता है,॥                                            मुझे जुड़ने से डर लगता है ................... झुका देती है हर किसी के आगे, की मु...

गुप्तरत्न "भावनायों के समन्दर मैं "

गुप्तरत्न : मेरे अल्फ़ाज़ और तेरा वो तराना ll गुप्तरत्न : नहीं भूल पाते वो तुझसे लिपटना, वो तेरी बाहों मैं सिमटना ll जाते नहीं ज़हन से मेरे वो एहसास , वो रात और तेरा आना यूं पास ll वो तेरे सीन... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "हलके लफ़्ज़ों ...

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गुप्तरत्न : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " हलके लफ़्ज़ों ...: "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " हलके लफ़्ज़ों से परहेज़ है रत्न.........शख्सियत को भारी रख ..........गुप्त रत्न... "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " आईने से गुफ्तगू जारी रख

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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " हलके लफ़्ज़ों से परहेज़ है रत्न.........शख्सियत को भारी रख ..........गुप्त रत्न 

न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll  न ज़रों का धोखा है धुंध का ज़माना है, अपनी गलती कौन सुने ऐसा ही ज़माना है ll माना की तेरे चाहने वाले कम नहीं, क्या कोई मुझसा तुम्हे चाहेगा,तुमको ही ये बताना है ll कडवाहट जुवान तक हो तो ठीक भी , मिजाज़ बन जाएँ जब ये,तो मुश्किल फिर निभाना है ll तेरी आवाज़ मैं नशा या आँखों मैं ज़्यादा, बता अब काम ये तेरा ही, मुझको समझाना है ll सही है , दोस्त कहे भी तो तुम्हे कैसे? तुम्हारा तो शौक है दुश्मनों की तरह हमें सताना है ll दिल की मजबूरी देखो मेरी भी "रत्न" दोस्त छोड़कर इसको दुश्मन की ही याद आना है ll म शहूर हो लोग जानते है तुम्हे , न जाने जहाँ कोई हमें,साथ तेरे ऐसी ही जगह जाना हैll

दिल न सह पायेगा -गुप्तरत्न

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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " गुप्तरत्न "भावनायों के समन्दर मैं"

गुप्तरत्न ज़नाब याद रखो, उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll,

गुप्त रत्न " भावनाओं के समंदर मैं " दिल मैं अपने मुहब्बत और एहसास रखते है , दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम  वो आग रखते है ll  अँधेरी रातों को भी जो रोशनी   से जगमगा दे , कागज़ मैं  अपने ख्यालों के  वो  रोशन चिराग रखते है ll  जुगनू मैं भी चमक दिखती है जिनको  नज़रो मैं अपनी वो  तिशनगी -ए-तलाश रखते है ll  मातम भी मनाते है,यूँ की खबर न हो किसी को,  क्या जानो तुम,दिल मैं अपने अरमानो की लाश रखते है ll  सुन लो!  कहने वालों  हमको "आशिक़ मिज़ाज़ "  ज़ख्म देने वाले से  ही ,हम मलहम की भी आश रखते है ll हीरे है, हम छूटते  है हाथों से, पर टूटते नहीं कभी , हंसते रहते है , दिल मैं पर ज़ख्मो की खराश रखते है ll  जो बदनाम कर खुश हो रहे है,किस्से सुनाकर "रत्न" के ज़नाब याद रखो , उन किस्सों मैं आप  ही जगह ख़ास रखते है ll गिले भूलकर सारे , फिर  भी दुआएं करते है आपके हक़ मैं , कबूल हो दुआएँ ,आपके हक़ मैं  हम अरमान -ए -काश रखते ...

"गुप्तरत्न " : आप चाहो तो जीत सकते है हम, भी  ये बाज़ी आपको दिल ह...

"गुप्तरत्न " : आप चाहो तो जीत सकते है हम, भी  ये बाज़ी आपको दिल ह... : आप चाहो तो जीत सकते है हम, भी  ये बाज़ी  आपको दिल हारना होगा मुझे जीताने के लिए ll दो कदम तुम चलो ,दो कदम मैं भी चलूँ , बस काफी है सफ़र,फ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्तरत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": तू ही बता खुद को समझाएं कैसे lये तड़प दिल की,तुम...

"गुप्तरत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": तू ही बता खुद को समझाएं कैसे l ये तड़प दिल की,तुम... : तू ही बता खुद को समझाएं कैसे l ये तड़प दिल की,तुम्हे बताएं कैसे ll खेल रहे है, इस क़दर मेरे दिल से l तेरी तरह हम भी,तुझे सताएं कैसे ll सवाल... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "