संदेश

गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

#पिता_जीवन का आधार

चित्र
"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " दिनभर मेहनत की आग में जलता है , अपना सुख चैन सब एक किनारे रखता है / तब कही बेटे के चेहरे में नयी साइकिल की ख़ुशी , और बेटी के तन पे नए लिबास का रंग फबता है / मां रोके कह देती है दुखड़े सारे ,पर वो तो  मर्द है न , रो भी नहीं सकता है , अपना सुख चैन सब किनारे रखता है ..... दिन भर मेहनत की आग में जलता है , अच्छे खाने का शौक भी शौक़ से रखता है , पर बेटी के हाथों का जला खाना भी स्वाद से चखता है , दिल पे पत्थर रखकर,बेटे की गल्ती पर उसको गाली भी बकता है, बेटी के आंसू गिरने पर उसका दिल भी दुखता है , पिता है जैसे तैसे भी हो, पर सब mangae करता है , अपना सुख चैन सब ..... जो कभी खुद न पढ़ पाया उन महंगे school में , पर खुद के शौक किनारे रखके, बच्चो के स्कूल की वो महंगी फीस भी भरता है , पिता है बच्चो की खुशियों के लिए सब कुछ वो करता है , दिन रात मेहनत की आग में जलता है .... ©

गुप्तरत्न : इसके लिए ग्रहण की इतनी खींचातानी देखी है ।हिंदी कवितायेँ,

चित्र
गुप्तरत्न : इसके लिए ग्रहण की इतनी खींचातानी देखी है ।: इसके लिए ग्रहण की इतनी खींचातानी देखी है । मैंने भी लोगो की बेईमानी देखी है , खुदको बचाने इनकी दिमागी शैतानी देखी है । बैठे है, भविष्य बनाने नन्हे फूलो का, इन मालियों की,हमने गन्दी बागवानी देखी है । सूरज हूँ,छुपेगी चमक बस दो घडी मेरी , इसके लिए ग्रहण की इतनी खींचातानी देखी है । सच जो छुपता तो,झूठ की पूजा होती,  खुदको भगवान बनाने,हमने लोगो की मनमानी देखी है । साबित करना क्या सच को इतना भी यूँ, झूठ छिपाने,हमने लोगो की चाल सयानी देखी है ॥ शुरू ही हुई न ख़तम अभी तक "गुप्तरत्न" बिजली बादल की हमने  भी अज़ब कहानी देखी है ॥ "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " गुप्तरत्न हिंदी कवितायेँ, 
"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " मैंने भी लोगो की बेईमानी देखी है , खुदको बचाने इनकी दिमागी शैतानी देखी है । बैठे है, भविष्य बनाने नन्हे फूलो का, इन मालियों की,हमने गन्दी बागवानी देखी है । सूरज हूँ,छुपेगी चमक बस दो घडी मेरी , इसके लिए ग्रहण की इतनी खींचातानी देखी है । सच जो छुपता तो,झूठ की पूजा होती,  खुदको भगवान बनाने,हमने लोगो की मनमानी देखी है । साबित करना क्या सच को इतना भी यूँ, झूठ छिपाने,हमने लोगो की चाल सयानी देखी है ॥ शुरू ही हुई न ख़तम अभी तक "गुप्तरत्न" बिजली बादल की हमने  भी अज़ब कहानी देखी है ॥

"गुप्त रत्न " गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है,बताती हूँ की...

"गुप्त रत्न "गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ,  : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की... : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की लिखना क्या होता है// कभी चलकर आये है ,जिन काँटों सी राहों पर, चुभन वो  ,बार बार महसू... "गुप्त रत्न "" गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, "

गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, : नारी तेरी अजाब है गाथा,पल-पल तेरी राहों मैं बाधा /...

"गुप्त रत्न " : नारी तेरी अजाब है गाथा,पल-पल तेरी राहों मैं बाधा /... : नारी तेरी अजाब है गाथा, पल-पल तेरी राहों मैं बाधा // जीवन बीते दासी जैसा, कहने को पति का हिस्सा आधा // कर दी अद्भुद रचना उसने , ... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी ,कभी खुदसे मिलना...

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी , कभी खुदसे मिलना... : सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी , कभी खुदसे मिलना भी अच्छा होता है । दुनिया की भीड़-भाड़ और शोर से भी . शांत मन और एकांत भी अच्छा होता है... gupt ratn hindi kavityan

#BAL-DIWASतुम से है परेशान हम ,तुमसे ही प्यार भी

BAL DIWAS  तुम ही को डाट , तुम को फटकार , तुम से ही मनुहार भी , तुम से है परेशान हम , तुमसे ही प्यार भी , यूँ तो दुनिया डूबी , तिहुँ और नीर से , पर सागर को भरते तुम , और तुम ही आधार भी . ये तुम्हारी हंसी , ये शरारतें न भर्ती है घर आँगन सिर्फ , इनसे ही तो है , खिलखिलाता सागर का गलियार भी , तुम से ही कल , तुम से ही है आज रोशन ये सबेरा , खुदको दो सही दिशा , मिटाओ बचे हुए अंधियार भी , कहते हो नित , तुम ही ब्रह्मा , तुम्ही हो विष्णु , तुम ही हो देव: महेश्वरः: पर हिरदय से समझो कभी तो इसका सच्चा सार भी , तुम्हारी सम्पूर्णता सिर्फ कर्तव्यों से ना आएगी हमारे , तुम अपने लिये हमको दो अपने जीवन परअधिकार भी , तुमसे ही सीखा है ,मैंने जीने का नया ढंग  मेरी खुशियो के , बन गए हो तुम हिस्सेदार भी
चलो सुनो शब्दो की महिमा तुम आज , जाने कितने इन शब्दो मैं छुपे है राज , शब्दो से ही है सजते सारे  साज। , शब्दो से ही है , सारे राग , शब्दो ने लिखवायीं रामायण , शब्दो  से लंका पा गया विभीषण , शब्दो ने करवायी महाभारत , इनके बाण न जाएँ अकारथ , शब्दो से मिल जाते है ताज , शब्दो से जा भी सकती है लाज , शब्दो से बन जाते बिगड़े काज , शब्द चाहे तो बना दे तुम्हे मोहताज। ......