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# guptratn हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " © जो हो गई सो हो गई ,बात होनी तो हो गई                                                                           कब इसमें किसी का वश चला है , मुहब्बत थी बस,होनी तो हो गई , क्या फर्क की तुम्हे पसंद या मुझे पसंद , बात होनी थी , सो हो गई  मुश्किल ही था साथ आगे चलना अब , छोड़ो, राहें जुदा हो गई तो हो गई , हो गई सो हो गई.... कहाँ लेके जाओगे अकड़ इतनी , मिटटी में दबनी है, या धुआं में उड़नी है , अकड़ अच्छे-  अच्छों की,यहाँ धुआँ मिटटी हो गई  रात के ख्वाब सा था  साथ तेरा, आँख खुली तो सुबह हो गई , हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई  ©

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी...

गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी... : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी , साथ रहो तुम ,पर तलवार मैं ही चलाऊँगी // बिन तेरे तो आगे मैं एक पग भी न धर पाऊँगी, ... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",