# guptratn हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "©
कब इसमें किसी का वश चला है ,
मुहब्बत थी बस,होनी तो हो गई ,
क्या फर्क की तुम्हे पसंद या मुझे पसंद ,
बात होनी थी , सो हो गई
मुश्किल ही था साथ आगे चलना अब ,
छोड़ो, राहें जुदा हो गई तो हो गई ,
हो गई सो हो गई....
कहाँ लेके जाओगे अकड़ इतनी ,
मिटटी में दबनी है, या धुआं में उड़नी है ,
अकड़ अच्छे- अच्छों की,यहाँ धुआँ मिटटी हो गई
रात के ख्वाब सा था साथ तेरा,
आँख खुली तो सुबह हो गई ,
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
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