आपके लिए आते है अल्फ़ाज़ तुमको देखकर "रत्न"

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "
कभी शर्ते तो कभी उलझन ,


कभी शर्ते तो कभी उलझन ,
अजीब दास्ताँ रही, कभी लगा शुरू हुई कभी ख़त्म ll

भरने का नाम ही नहीं लेते ,
बड़े गहरे है ,दिए हुए वो मुझे तेरे सारे ज़ख्म ll

अभी तो शुरुवात है लज्ज़त की ,
देखेंगे जानेमन कब तक कर सकोगे  तुम इसे हज़म ll

आते है अल्फ़ाज़ तुमको देखकर "रत्न" 
सच है , तुम्हारे ही है अब  ये गीत ग़ज़ल और ये नज़्म ll 

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