आपके लिए आते है अल्फ़ाज़ तुमको देखकर "रत्न"
कभी शर्ते तो कभी उलझन ,
कभी शर्ते तो कभी उलझन ,
अजीब दास्ताँ रही, कभी लगा शुरू हुई कभी ख़त्म ll
भरने का नाम ही नहीं लेते ,
बड़े गहरे है ,दिए हुए वो मुझे तेरे सारे ज़ख्म ll
अभी तो शुरुवात है लज्ज़त की ,
देखेंगे जानेमन कब तक कर सकोगे तुम इसे हज़म ll
आते है अल्फ़ाज़ तुमको देखकर "रत्न"
सच है , तुम्हारे ही है अब ये गीत ग़ज़ल और ये नज़्म ll
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