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डर लगता है

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " आईने से गुफ्तगू जारी रख

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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " हलके लफ़्ज़ों से परहेज़ है रत्न.........शख्सियत को भारी रख ..........गुप्त रत्न 
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " गुप्त रत्न  मेरी तो जुबां काली है , हर बात सदाकत थी , संभाला तुम्हे , मेरी कमजोरी नहीं शराफत थी ll मुहब्बत  होती तो मरती न यूँ , जिंदा रहती , बदलनी ही थी एक दिन  ,मैं तो तेरी आदत थी ll सब कुछ लौटा दूंगी वैसा ही तुम्हें एक दिन , ये दर्द सब तेरे ही है ,  मेरे पास तो ज़मानत थी ll सबकुछ छोड़ बैठी थी , कभी तेरे वास्ते मैं , मुहब्बत मेरी ये,  दुनिया के  लिए तो बगावत थी ll बहुत अच्छे अदाकार हो, तुमने ही कहा था , आज भी दिखावा है, कल भी हर बात बनावट थी ll बिल्कुल नही बदले,आज भी मै ही गलत हूँ , इलज़ाम मुझको देना तो,तुम्हारी पूरानी आदत थी ll रुख बदला तो है , हवाओं का  जिंदगी मैं ," रत्न " ये हवाएं भी क़यामत है,वो हवाएं भी क़यामत थी ll गुप्त रत्न