"गुप्त रत्न " आओ पढ़े हम,इस आज़ादी की वो गाथाएं , आओ पढ़े हम,इस आज़ादी की वो गाथाएं , जिनको पाने जाने, लांघी है कितनी ही बाधाएं, ये रंग बिरंगा सा, जो तुमको दीखता है , तिरंगा, ना जाने कितने वीरो के लहू ने है ,इसको रंगा, ये राष्ट्रध्वज, ये राष्ट्रगीत और ,राष्ट्रचिंह ये राष्ट्रगान, यूं ही नहीं मिला हमको आज ये सम्मान, काली स्याही मैं खोजो, तुमको उजला अतीत मिलेगा, तब तुम हृदय से दे सकोगे इन्हें सच्चा मान, आओ पढ़ें हम आज़ादी की वो गौरव कथाएं, जिनके मुख्य किरदारों मैं थे ,जाने कितने वीर और वीरांगनाये, करो महसूस उन वीरो के मर्म ,को जिनकी थी ये व्यथाएं, आओ पढ़े हम आज़ादी की वो कथाएं! गुप्त रत्न सवतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ//
संदेश
गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ" लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य .. हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है, और नहीं कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। हाथों मैं रखता कोई गीता,पढता कोई कुरआन है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है " दुआ भी होती,नात भी सुनते और कहते कव्वाली भी, और यही पर सुनते हम भजनों की मधुरम तान है।। "शूरवीर महाराणा" यही पर हुए "अकबर महान" है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। सियासत भी बोलती है, ज़हर नफरत का घोलती है / आयें मिटाने इस प्रेम को कई सियासी शैतान है।। फुट डालकर राज किया कई ,गोरे और देशी हैवान है , अब नही करने देंगे ये,यहाँ अपना घर ये हिन्दुस्तान है।। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब इसकी शान है , और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।। जय हिन्द।
कहा था शब्दों मैं.........
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा। पढोगे जब जब ,मैं तब नज़र मैं आऊंगा।। माना हर क्षण मेरा जाना पीड़ा तुमको देता है। दर्द वियोग का ह्रदय तुम्हारा वर्षो से ये सहता है।। तुम्हारे ह्रदय मैं,प्रतिबिम्ब है मेरा,कब से झांककर देखो अंतरमन मैं मिल जाऊंगा। कहा था शब्दों मैं......... माना मेरा जाना तुम्हे दर्द बहुत देता है,। ईश्वर जो चाहता है वही परीक्षा लेता है।। ये रूप,रंग ,शब्द ,सोच सब तुमसे पाया था। सब वहां छोड़कर मैं इस दुनिया मैं आया था। तुम खुद मैं देखो ,मैं मिल जाऊंगा। नही आऊंगा,वापस पर सदा तुम ही रह जाऊंगा।। तुम यदि तुम दुखी रहे ,तो मैं स्वयं को कैसे यहाँ खुश रख पाउँगा ।। कहा था मैंने शब्दों मैं मिल जाऊँगा,पढोगे जब-2 तब नज़र आउंगा ।। कोशिश की है "रत्न" ने आपकी भावनाओ को छूने की, कवी ह्रदय कहता है,शायद मैं कलम से अपनी आपका दर्द छु पाउँगा।। "गुप्त रत्न"
"गुप्त रत्न" "हिंदी कवितायेँ", : नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,सागर ...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", : अनुशासन और इमानदारी मेरा स्वाभाव है,नही कृत्रिम ...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",: गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई मैं"अर्जुन की तरह सो...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : सबसे मिलते - मिलते सीखा म...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
देखा है मैं बच्चो को हँसते हुए खिलखिलाते हुए,गुनगुनाते हुए । किसी की किताब छीन लेना कभी , किसी की कॉपी को फाड् देना , फिर देखा उसे गलती पर मनाते हुए ॥ अपना टिफिन खाकर,दूसरे का छीनना कभी भूखे रहकर खुद दोस्तों को खिलाना , देखा है मैंने इनको मिल बांटकर खाते हुए ॥ शिकायते करना ,कभी मार देना फिर चिढाना देखा उसी दोस्त को टीचर की डांट से बचाते हुए झगड़ लेना कभी, फिर कंधे पर हाथ डालकर चलना देखा मैंने उनको एक दूसरे को रूठते- मनाते हुए ॥ फेल हो जाना, कभी परीक्षा न देना फिर पूछने पर झूठी कहानी सुनाते हुए , "मैंने तो कुछ नहीं किया " पकडे जाने पर कहना, देखा है,परीक्षा मैं बच्चो को पूछते और बताते हुए ॥ डांट खाना कभी फिर चुपके से हँसना देखा है मैंने बच्चॊ को शरारत करते हुए, टीचर को मनाते हुए तो कभी सताते हुए ॥ जाते है कुछ पुराने तो बनते है नए परिवार का हिस्सा । मैंने हर साल देखा बच्चॊ को स्कूल से आते हुए जाते हुए ॥ गुप्त रत्न
"गुप्त रत्न" हिंदी कवितायें- हौसला
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
हौसला खुद तुझे पुकारेगी मंज़िल , गर हौसला बुलंद है, खुलेंगे दरवाज़े किस्मत के , जो अब तलक बंद है , तेज़ कर आग तू ये ललक की , जो पडी चली अब मंद है , खुद तुझे पुकारेगी मंज़िल ......... अभी तू सह दर्द ये सफर का , मंज़िल आ जाएँ फिर आनद ही आनंद है , मत घबरा अभी "रत्न " तू हार से , देखना खुद ब-खुद हट जाएगी , जीत पर पड़ी जो धुंध है , खुद तुझे पुकारेगी मंज़िल , गर हौसला बुलंद है-
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
हमने मान लिया कहना हालातो का कुछ नहीं हासिल कोरी बातों का , श्वेत-श्याम चुना है ,खुद मैंने ही , अपराध क्या, इसमें रंग सातो का देर कर दी उठने मैं ,दोपहर की नींद से , मिला अँधेरा ,गहना है जो रातों का , मैं चली हूँ सच -ईमान की राह पर , डर क्यों ?टूटने से रिशते -नातों का , "रत्न" को गिरने मत देना ए-मालिक , संभालेंगे जो,क्या भरोसा उन हाथों का? जोड़ सको तो जोड़ लो प्यार जीवन मैं ब्याज अच्छा है ,इन बैंक के खातों का ,
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
आओ पढ़े हम,इस आज़ादी की वो गाथाएं , जिनको पाने जाने, लांघी है कितनी ही बाधाएं, ये रंग बिरंगा सा, जो तुमको दीखता है , तिरंगा, ना जाने कितने वीरो के लहू ने है ,इसको रंगा, ये राष्ट्रध्वज, ये राष्ट्रगीत और ,राष्ट्रचिंह ये राष्ट्रगान, यूं ही नहीं मिला हमको आज ये सम्मान, काली स्याही मैं खोजो, तुमको उजला अतीत मिलेगा, तब तुम हृदय से दे सकोगे इन्हें सच्चा मान, आओ पढ़ें हम आज़ादी की वो गौरव कथाएं, जिनके मुख्य किरदारों मैं थे ,जाने कितने वीर और वीरांगनाये, करो महसूस उन वीरो के मर्म ,को जिनकी थी ये व्यथाएं, आओ पढ़े हम आज़ादी की वो कथाएं!
सबसे मिलते मिलते सिखा मैंने
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
"गुप्त रत्न " सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी , कभी खुदसे मिलना भी अच्छा होता है । दुनिया की भीड़-भाड़ और शोर से भी . शांत मन और एकांत भी अच्छा होता है । बहुत से रिश्ते मिले उनसे सीखा भी , अपने परिवार मैं रहना भी अच्छा होता है । गुरु से कम नहीं अनुभव जीवन के , शिक्षा लेकर चलना भी अच्छा होता है । शिकायतों से कुछ नहीं बदलने वाला , कभी खुद को बदलना भी अच्छा होता है ।
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
सबसे मिलते - मिलते सीखा मैंने भी , कभी खुदसे मिलना भी अच्छा होता है । दुनिया की भीड़-भाड़ और शोर से भी . शांत मन और एकांत भी अच्छा होता है । बहुत से रिश्ते मिले उनसे सीखा भी , अपने परिवार मैं रहना भी अच्छा होता है । गुरु से कम नहीं अनुभव जीवन के , शिक्षा लेकर चलना भी अच्छा होता है । शिकायतों से कुछ नहीं बदलने वाला , कभी खुद को बदलना भी अच्छा होता है ।
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
ये मान हम दिशा के दो छोर है , एक पूरब तो एक पश्चिम की ओर है , अलग अलग है दोनों का मतलब , एक संध्या तो एक भोर है , माना पूरब है उगता सूरज ,पर राह पश्चिम देती, उसको इस ओर है माना दोनों है बिलकुल अलग अलग , पर दोनों को बांधे,कोई तो डोर है , माना मिलना मुश्किल है ,दोनों का तू कही का राही, मेरी मंज़िल कुछ और है मत सुन /कौन तुझे क्या कहता है , ये तो दुनिया वालों का शोर है , तुम चाहो हो छोर मिलाना , बात काबिल- ए-गौर है , पर समझो तुम बात हमारी , मैं पूरब ,तू पश्चिम का छोर है .............. गुप्त रत्न "ग़ज़ल"
"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : हौसला खुद तुझे पुकारेगी मंज़...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
हौसला बुलंद है
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
हौसला बुलंद है खुद तुझे पुकारेगी मंज़िल , गर हौसला बुलंद है, खुलेंगे दरवाज़े किस्मत के , जो अब तलक बंद है , तेज़ कर आग तू ये ललक की , जो पडी चली अब मंद है , खुद तुझे पुकारेगी मंज़िल ......... अभी तू सह दर्द ये सफर का , मंज़िल आ जाएँ फिर आनद ही आनंद है , मत घबरा अभी " रत्न " तू हार से , देखना खुद ब-खुद हट जाएगी , जीत पर पड़ी जो धुंध है , खुद तुझे पुकारेगी मंज़िल , गर हौसला बुलंद है ,.................................... गुप्त रत्न
बालदिवस पर मिलकर ये प्रण लीजिये ,
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By Guptratn ek Ehsas
Guptratn
यूँ तो पूरा साल है तुम्हारा पर आज कुछ यों कीजिये , बालदिवस पर मिलकर ये प्रण लीजिये , इंस्टाग्राम .फेस बुक व्हाट्सअप छोड़कर सभी , एग्जाम आ रहे है , किताबो की और मुख कीजिये , माना तुममे नया जोश है , नवयुग की संतान तुम पर ये न हो की अपनी संस्कृति का अपमान कीजिये , ये पहचान है हमारी , जड़ें है इसमें , अपनी पहचान के लिए इसका सम्मान कीजिये , हमारे दिन तो ढल गए , है सूरज की तरह , अनुभव है अब हम , शाम की लालिमा जैसे मगर तुममें नया जोश है , नयी ऊर्जा हो अभी तुम , इस अनुभव से इस ऊर्जा को सही दिशा दीजिये , इस लालिमा से अपने पथ को रोशन तुम कीजिये , ये समय अनमोल ना आएगा दुबारा , सदुपयोग हो इसका , और आनंद लीजिये गुप्त रत्न