"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "
स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य ..


हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है,
और नहीं कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।

हाथों मैं रखता कोई गीता,पढता कोई कुरआन है,
और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है "

दुआ भी होती,नात भी सुनते और कहते कव्वाली भी,
और यही पर  सुनते हम भजनों की मधुरम  तान है।।

"शूरवीर महाराणा" यही पर हुए "अकबर महान" है,
और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।

सियासत भी बोलती है, ज़हर नफरत का घोलती है /
आयें मिटाने इस प्रेम को कई सियासी शैतान है।।

फुट डालकर राज किया कई ,गोरे और देशी हैवान है ,
अब नही करने देंगे ये,यहाँ अपना घर ये  हिन्दुस्तान है।।

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब इसकी शान है ,
और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।।
जय हिन्द।


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