ग़ज़ल ये नही सिर्फ अल्फाजों को सह्ज़ेना करीने से ,
न समझ सकेगा कोई,क्यूँ धड़कने रूठी है सीने मैं,//

ये होश की बातें नहीं समझता दिल,
 हमनवाई नही ,दिल और दिमाग की जीने मैं //

ये राहें-ए-सुखन उससे टूटकर मिली है ,
ये नशा तो .मिला नही साथ उसके भी पीने मैं,//

ये मरहला जिंदगी का , ठिकाना न हासिल 
पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मैं 

 (हमनवाई -इक मत 
राहें-ए-सुखन -कविता शायरी ,बात चित का तरीका 
मरहला-मोड़ ,परिस्थिति ,हालात 
सफीने -कश्ती )

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