आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर ,
सब भूल रही हूँ,आपकी याद सामने रखकर //

सीधे सीधे फरमाइए क्या चाहत है आपकी,
न उलझाइये,हमे शर्ते ये सामने रखकर //

यूँ तो सोचते ही रहे की,क्या लिखें हम,
कलम चल पड़ी ,शराब सामने रखकर //

ए खुदा ,तुझ पर मेरा अकीदा देख,
कही सर नही झुकाती,तेरे सामने रखकर //

उर्दू जुवा न हिंदी जुवा बयाँ कर सकेगी मुहब्बत को,
निगाहों को ही  जुवा समझो  मेरी ,बस  दिल  रखकर //

आप न चाहेंगे तो देखंगी  भी न आपको,"रत्न "
क्या चाहते है ऐसा,कह दो दिल पर हाथ रखकर //


अकीदा --बिश्वास ,भरोसा 


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