कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है,
बताती हूँ की लिखना क्या होता है//
कभी चलकर आये है ,जिन काँटों सी राहों पर,
चुभन वो ,बार बार महसूस करना होता है //
रोज़ नहीं चुभते कांटे पैरो मैं,
सूखे ज़ख्मो को हरा करना होता है //
अल्फ़ाज़ कहाँ होते है .खून-ए-अरमा होता है,
बीती यादों मैं रोज़ रोज़ जीकर ,मरना होता है //
बिन लिखें तो अब जी न पाएंगे ,आवाज़ है ये
वरना तो ख़ामोशी मैं घुटना होता है //
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