"गुप्त रत्न" दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं...

"गुप्त रत्न " ख़ामोशी की गहराई मैं"
दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं...
: दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं, फर्क करते करते मंदिर की पूजा और नमाज़ों मैं// किस किस को इलज़ाम देती ,अपनी दर्द-ए...


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