"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी...
गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी...: तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी , साथ रहो तुम ,पर तलवार मैं ही चलाऊँगी // बिन तेरे तो आगे मैं एक पग भी न धर पाऊँगी, ...
गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",
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