"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर ,सब भूल रही ...
"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर ,
सब भूल रही ...: आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर , सब भूल रही हूँ,आपकी याद सामने रखकर // सीधे सीधे फरमाइए क्या चाहत है आपकी, न उलझाइये,हमे शर्त...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
सब भूल रही ...: आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर , सब भूल रही हूँ,आपकी याद सामने रखकर // सीधे सीधे फरमाइए क्या चाहत है आपकी, न उलझाइये,हमे शर्त...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
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