"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मै...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मै...: पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मैं  ग़ज़ल ये नही सिर्फ अल्फाजों को सह्ज़ेना करीने से , न समझ सकेगा कोई,क्यूँ धड़कने रू...

"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

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