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#गुप्तरत्न बस दिन आज हो

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शायरी के भी अजब अंदाज़  हो , हो खुलेआम बातें ,फिर भी सब राज हो , कब  तक उड़ान भरेंगे इन छोटे छोटे परों से हम , उड़ना चाहते है यूँ , की यूँ बाज हो , क्या जरुरत है तकरीर की सर -ऐ -महफ़िल , खामोशियां बयां हो जाएँ ,आँखों से यूँ से बात हो, बस आज कल आज में बीत न जाएँ वक़्त ये , मिलो हमसे ,तो तुम मिलो यूँ , की बचा जिंदगी का ,बस दिन आज हो .......................

#guptratn शुरुवात में ही वाकिफ थे ,की खत्म जरुर होना था ,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " शुरुवात में ही वाकिफ थे ,की खत्म जरुर होना था  , इस कहानी के किरदारों को ,जुदा जरुर होना था ll कहाँ नसीब होता है सबको ,मुझसा चाहने वाला, लाज़मी था ,तुझको तो गुरुर जरुर होना था , ख्वाव थे ,नींद टूट गई मेरी ,                                             कसूर तेरा नहीं, इनको तो चूर होना था , जितना लिखा था ,उतना तो मिल गया , जो नहीं था ,नसीब में, वो तो दूर होना था , तेरी जो ख़ुशी है ,दूरियां मुझसे  ये , इनकार कैसे करूँ ,मुझको तो मंजूर होना था ll