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#लिवास रखो तन पर ऐसा,

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#लिबास #गुप्तरत्न #guptratn "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " अजब था इश्क उसका , बधन भी था आज़ादी भी l तलब लगी कुछ ऐसी ,मुझको, लत भी नही, और रही आदी  भी l लिवास रखो तन पर ऐसा, मलमल दिखे गर पहनो खादी भी l ऐसा रूप दिया मालिक ने,  चमकती हूँ पर रहती सादी भी l उसकी यादों का सैलाब ऐसा, थामी नदी आँखों ने और बहा दी भी l अजब तूफ़ान उसकी जुदाई का, उजाड़ दी दुनिया और बसा दी भी l तेरी नज़र की तपिश है ऐसी, ठंडक भी,दिल मैं आग लगा दी भी ll ©

सुनने उस एक तराने की लिए ll

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " https://m.starmakerstudios.com/d/playrecording?app=tvp&from_user_id=5348024334707325&is_convert=true&recordingId=5348024549343124&share_type=fb&fbclid=IwAR1vNJwZbXtabULaRYNW9CbIQDGQzvUPFSPEE_IyjkaxFGZHNhKZFhDn6_0 नही स्वरना किसी को दिखाने के लिए ये जिंदगी चुनी है खुद मैंने, नही जीना मुझे ज़माने के लिए ll मैं जो हूँ बस वहीँ हूँ, नही सवंरना मुझे किसी को दिखाने के लिएll इतनी आसानी से नही मिलेगी , बहुत सफ़र वाकिं है ,मंजिल को पाने को लिए ll बहुत जलना होगा,2* खुदको अभी कुंदन बनाने के लिए ll सीता की तरह पाकीज़गी साबित करें, नही जी,धरती नही फटेगी यहाँ खुद मैं हमें समाने के लिएll आदत ये जीत की  लगी क्या मुझको, लोग जाने क्या-क्या कर जायेंगे अब मुझे हराने के लिए ll क्यूँ बुला बैठी दुश्मन को दिल मैं,? दोस्त क्या कम थे?,मुझे सताने के लिए ll इक शाम की ही तो तलबगार हूँ मैं , सुनना है जो,तेरी आवाज़ मैं उस अफ़साने के लिएll हो जाएँ जिससे तरन्नुम-ए-फिजा , बैठी हूँ कब से,सुनने उस एक तराने की लिए ll बोलूं

आया है राजा नया,अभी हाल में

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" गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " मची है हलचल मैदान में, आया है नया राजा, अभी हाल में , तुम राजा हो  जंगल  के , ध्यान रहे  , लोमड़ी भी घूमते है यहाँ ,हिरन की खाल में , शतरंज की बिसात है और रानी हो  आप , चलना संभल के , बाज़ी पलट सकती है ,यहाँ  एक गलत चाल में , दो मुहं सांप भी रहते है यहाँ , बस सुनना ,पर  फंस न जाना ,इनकी बातों के जाल में , अभी  न समझ सकोंगे तुम  ये शायरी , आने लगेंगे समझ, ये अलफ़ाज़ कुछ दिन ,महीने य साल में , अभी मचेगी उथल -पुथल  दिलों में , लिखा है किसके लिए , उलझ के रह जायेंगे सब इस सवाल में , आया है नया राजा ......अभी हाल में

#गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न" महक रहे है, तेरी खुशबू से अब तलक ,

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गुप्तरत्न : "गुप्तरत्न" महक रहे है, तेरी खुशबू से अब तलक , :   तू ही बता खुद को समझाएं कैसे l ये तड़प दिल की,तुम्हे बताएं कैसे ll खेल रहे है, इस क़दर मेरे दिल से l तेरी तरह हम भी,तुझे सताएं कैसे ll ... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न :लफ़्ज़ों में आग रखते है

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गुप्तरत्न ज़नाब याद रखो, उन किस्सों मैं आप ही जगह ख़ास रखते है ll, गुप्त रत्न " भावनाओं के समंदर मैं " दिल मैं अपने मुहब्बत और एहसास रखते है , दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम  वो आग रखते है ll  अँधेरी रातों को भी जो रोशनी   से जगमगा दे , कागज़ मैं  अपने ख्यालों के  वो  रोशन चिराग रखते है ll  जुगनू मैं भी चमक दिखती है जिनको  नज़रो मैं अपनी वो  तिशनगी -ए-तलाश रखते है ll  मातम भी मनाते है,यूँ की खबर न हो किसी को,  क्या जानो तुम,दिल मैं अपने अरमानो की लाश रखते है ll  सुन लो!  कहने वालों  हमको "आशिक़ मिज़ाज़ "  ज़ख्म देने वाले से  ही ,हम मलहम की भी आश रखते है ll हीरे है, हम छूटते  है हाथों से, पर टूटते नहीं कभी , हंसते रहते है , दिल मैं पर ज़ख्मो की खराश रखते है ll  जो बदनाम कर खुश हो रहे है,किस्से सुनाकर "रत्न" के ज़नाब याद रखो , उन किस्सों मैं आप  ही जगह ख़ास रखते है ll गिले भूलकर सारे , फिर  भी दुआएं करते है आपके हक़ मैं , कबूल हो दुआएँ ,आपके हक़ मैं  हम अरमान -ए -काश रखते है ll  https://m.starmakerstudios.com/share?recording_id=5348024548743488&share_type=fb "गुप

गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में,

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गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर न ज़्म में,: "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " उड़ेंगे कितने ऊपर आसमान पे, तुम  बस  उनकी उड़ान देखो,  बैठेंगे कब किस डाल पे, त... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#Guptratn#हर स्टूडेंट की दर्द भरी कहानी गुप्तरत्न की जुबानी- बाल-दिवस

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "                            पुरे साल मैंने क्या किया, कभी बाजू मैं बैठी लड़की को देखा, कभी क्लास बंक किया । जब होता था revision मेरी होती थी अक्सर तबियत ख़राब, लगती थी प्यास आती थी वाशरूम की याद, जब समझती थी टीचर चेप्टर हमने भी खूब उड़ाए पीछे बैठकर कागज़ के हेलीकाप्टर ॥ फ़िक्र किसने की कभी एग्जाम की पर खबर थी बराबर फेसबुक व्हाट्सप्प और इंस्टाग्राम की । खूब समय बिताया हमने टीचर्स को कॉपी करने मैं, दोस्तों के खेल  में ,हंसी और कभी झगड़ने में ॥ पर वक़्त ने भी गज़ब सितम ढाया , बीत गया साल अब फ़ाइनल एग्जाम का वक़्त आया ॥ न अब कोई सहारा न कोई अपना नज़र आया , जबb सामने question  पेपर मैडम ने थमाया ॥ हमने भी कर लिए हालातो से समझौता , बस हल किये प्र्शन दो या एकलौता ॥ अब आयी रिजल्ट की बारी , पड़ गयी साल भर की करतुते भारी। मैडम ने भी दिए भर भर के जीरो , असलियत सामने आ गई, बनते थे क्लास में बहुत हीरो ॥ अब आया वो दिन भी अलबेला, जब लगना था टीचर्स और पेरेंट्स का मेला ॥ दोनों मिले खूब बातें हुई हमारी , अब थी बस घर चलने की त

खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में,

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " उड़ेंगे कितने ऊपर आसमान पे, तुम  बस  उनकी उड़ान देखो,  बैठेंगे कब किस डाल पे, तुम बस उनकी थकान देखो , जिस  किसी को लगता है ,कि चला रहा है वो दुनिया , कहो उनको कभी, कि क्यूँ बैठा है यहाँ भगवान् देखो , क्यूँ प्यास का ज़िक्र करते हो हर घडी  तुम, खुदा ने दिया तो है, आधा खाली रहा , पर आधा भरा भी तो है जाम देखो , जो कर रहे हो वही लौट के भी आएगा , गर भरना है ,झोली फूलों से , तो आज कर्मो के तुम अपने बगान देखो, महरूम है ये गलियां ,जात और मजहब के इल्म से , क्या यकीं ,इसमें बस जाएँ कोई, "बनिया " य आकर "खान "देखो , खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में, मान एहसान, करना नही चाहते तुझे और बदनाम देखो ,

गुप्तरत्न : यकीं क्या वक्त का,जो है आज ये पल "कल"न हो

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गुप्तरत्न : यकीं क्या वक्त का,जो है आज ये पल "कल"न हो : ये मुहब्बत अधूरी ही रहे,कभी मुकम्मल न हो, चन्द अशआर अधूरे ही अच्छे है,कभी पूरी ये ग़ज़ल न हो, तुझको देखकर मचलती रहे ये धड़कने यूं,  य... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : वक़्त देना होगा मुझे ........होश ले जाता है रत्न के...

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गुप्तरत्न : वक़्त देना होगा मुझे ........होश ले जा ता है रत्न के...: वक़्त देना होगा ,मुझे पढ़ने, दिल मेरा एक अध्याय नही ,पूरी किताब है , कभी पूरा  न हो सकेगा, मेरी मुहब्बत, ब्याज पर चलने वाला वो... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

कोरोना सा है ,मौत ही इसका अंजाम होता है भाई

गुप्तरत्न : कोरोना सा है ,मौत ही इसका अंजाम होता है भाई : "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#कोरोना सा है ,मौत ही इसका अंजाम होता है भाई

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्तरत्न : जानवर सा इंसान रखती हूँ

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गुप्तरत्न : जानवर सा इंसान रखती हूँ "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

guptratn shayri गुप्तरत्न भावनाओं के समन्दर में

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गुप्तरत्न : गुप्तरत्न : पतझड़ गवाह है,की किसी बाग में हमेशा तो ...

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गुप्तरत्न : गुप्तरत्न : पतझड़ गवाह है,की किसी बाग में हमेशा तो ...: गुप्तरत्न : पतझड़ गवाह है,की किसी बाग में हमेशा तो बहार न रही : तेरी "हाँ" की अब में तलबगार न रही , तेरी "न" ही अच्छी है... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " https://draft.blogger.com/blog/page/edit/4696555860969717029/1424144667749867567 https://draft.blogger.com/blog/page/edit/4696555860969717029/1424144667749867567

guptratn shayri : गुप्तरत्न -शायरी

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गुप्तरत्न : गुप्तरत्न -शायरी: "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "                                                                      ... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

#गुप्तरत्न -शायरी aapke liye

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "