#लिवास रखो तन पर ऐसा,
#लिबास #गुप्तरत्न#guptratn"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "
अजब था इश्क उसका ,
बधन भी था आज़ादी भी l
तलब लगी कुछ ऐसी ,मुझको,
लत भी नही, और रही आदी भी l
लिवास रखो तन पर ऐसा,
मलमल दिखे गर पहनो खादी भी l
ऐसा रूप दिया मालिक ने,
चमकती हूँ पर रहती सादी भी l
उसकी यादों का सैलाब ऐसा,
थामी नदी आँखों ने और बहा दी भी l
अजब तूफ़ान उसकी जुदाई का,
उजाड़ दी दुनिया और बसा दी भी l
तेरी नज़र की तपिश है ऐसी,
ठंडक भी,दिल मैं आग लगा दी भी ll
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