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सुनने उस एक तराने की लिए ll

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"गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " https://m.starmakerstudios.com/d/playrecording?app=tvp&from_user_id=5348024334707325&is_convert=true&recordingId=5348024549343124&share_type=fb&fbclid=IwAR1vNJwZbXtabULaRYNW9CbIQDGQzvUPFSPEE_IyjkaxFGZHNhKZFhDn6_0 नही स्वरना किसी को दिखाने के लिए ये जिंदगी चुनी है खुद मैंने, नही जीना मुझे ज़माने के लिए ll मैं जो हूँ बस वहीँ हूँ, नही सवंरना मुझे किसी को दिखाने के लिएll इतनी आसानी से नही मिलेगी , बहुत सफ़र वाकिं है ,मंजिल को पाने को लिए ll बहुत जलना होगा,2* खुदको अभी कुंदन बनाने के लिए ll सीता की तरह पाकीज़गी साबित करें, नही जी,धरती नही फटेगी यहाँ खुद मैं हमें समाने के लिएll आदत ये जीत की  लगी क्या मुझको, लोग जाने क्या-क्या कर जायेंगे अब मुझे हराने के लिए ll क्यूँ बुला बैठी दुश्मन को दिल मैं,? दोस्त क्या कम थे?,मुझे सताने के लिए ll इक शाम की ही तो तलबगार हूँ मैं , सुनना है जो,तेरी आवाज़ मैं उस अफ़साने के लिएll हो जाएँ जिससे तरन्नुम-ए-फिजा , बैठी हूँ कब से,सुनने उस एक तराने की लिए ll बोलूं