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"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": देखते है कब तलक बचते है हुज़ूर,राहे-ए -सुखन  और नि...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": देखते है कब तलक बचते है हुज़ूर, राहे-ए -सुखन  और नि... : देखते है कब तलक बचते है हुज़ूर, राहे-ए -सुखन  और निगाहों मैं , यूँ ही गुफ्तगू का सफ़र  रहेगा // महकेंगे यूँ रोज अल्फ़ाज़ मेरे , इन... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": जगमगा रही है,अंधेरो को ,उस रौशनी को रहने दे/जिद ...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": जगमगा रही है,अंधेरो को ,उस रौशनी को रहने दे/ जिद ... : जगमगा रही है,अंधेरो को ,उस रौशनी को रहने दे/ जिद मैं ,क्या मेरी जिंदगी से वो दिया भी बुझाएगा // न बन  खुदा ,वक़्त को करने दे फ़ैसला,जिंदग... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मै...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मै... : पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मैं  ग़ज़ल ये नही सिर्फ अल्फाजों को सह्ज़ेना करीने में , न समझ सकेगा कोई,क्यूँ धड़कने र... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": मशगला सा ,न तआरूफ कराना यारों मैं "रत्न"के नाम का,..

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": मशगला सा ,न तआरूफ कराना यारों मैं "रत्न"के नाम का, : किसी शायर ने कहा ये खूब , "इश्क एकतरफा हुआ कभी न हुआ होगा "// समन्दर मैं गर उठ रही है लहरें , तो बादल पर भी तो इसका असर... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": तेरे ख्याल तो नशा है, मय के लिए भी मयखाना हो गए //...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": तेरे ख्याल तो नशा है, मय के लिए भी मयखाना हो गए //... : तेरे ख्याल तो नशा है, मय के लिए भी मयखाना हो गए // देखकर तुमको मिजाज़ मेरे आशिकाना हो गए, मुलाक़ात की कोशिशे सारी,ज़माने के लिए बहाना हो ग... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": तेरे ख्याल तो नशा है, मय के लिए भी मयखाना हो गए //...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": तेरे ख्याल तो नशा है, मय के लिए भी मयखाना हो गए //... : तेरे ख्याल तो नशा है, मय के लिए भी मयखाना हो गए // देखकर तुमको मिजाज़ मेरे आशिकाना हो गए, मुलाक़ात की कोशिशे सारी,ज़माने के लिए बहाना हो ग... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मै...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मै... : पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मैं  ग़ज़ल ये नही सिर्फ अल्फाजों को सह्ज़ेना करीने से , न समझ सकेगा कोई,क्यूँ धड़कने रू... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
ग़ज़ल ये नही सिर्फ अल्फाजों को सह्ज़ेना करीने से , न समझ सकेगा कोई,क्यूँ धड़कने रूठी है सीने मैं,// ये होश की बातें नहीं समझता दिल,  हमनवाई नही ,दिल और दिमाग की जीने मैं // ये राहें-ए-सुखन उससे टूटकर मिली है , ये नशा तो .मिला नही साथ उसके भी पीने मैं,// ये मरहला जिंदगी का , ठिकाना न हासिल  पतवार हाथ मैं रखकर भी बेठिकाना ही रहना है सफीने मैं   (हमनवाई -इक मत  राहें-ए-सुखन -कविता शायरी ,बात चित का तरीका  मरहला-मोड़ ,परिस्थिति ,हालात  सफीने -कश्ती )

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": मुकर्रर दिन बता दो, फासले और ये गिले मिटाने //न छ...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": मुकर्रर दिन बता दो, फासले और ये गिले मिटाने // न छ... : मुकर्रर दिन बता दो, फासले और ये गिले मिटाने // न छिनना चाहा न चुराना, हौसला कर ही लिया आखिर इसे पाने // मुहब्बत के हाथो बिकता है &... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न" ख़ामोशी की गहराई मैं शिकायतें, तेरी बहुत कडवी है "रत्न"मैंने नही कहा,...

"गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई मैं  शिकायतें, तेरी बहुत कडवी है "रत्न" मैंने नही कहा,... : शिकायतें, तेरी बहुत कडवी है "रत्न" मैंने नही कहा,तो आपसे सुना भी कहाँ गया // बोल कर चल दिए,तुमसे रुका भी कहाँ  गया // सोच ज...

"गुप्त रत्न"न संभलेगा दिल तेरे सामने बैठकर ,"रत्न"...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं": "गुप्त रत्न"न संभलेगा दिल तेरे सामने बैठकर ,"रत्न"... : "गुप्त रत्न"न संभलेगा दिल तेरे सामने बैठकर ,"रत्न"से , कहने दो इक बार हकीक़त मैं, कह चुकी जो कई बार ,ख़्वाबो मैं लगकर... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"हम पूरा एतबार रखते है " गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है , बेखुदी मैं पर हम बस,अब आपके ख्याल रखते  है // नहीं है काबू मैं धड़कने,और ज़ज्वात मेरे , मत पूछो, सामने आपके कैसे इन्हें संभालकर रखते है // बेचैनियाँ,घबराहट पूछने लगी ,मुझसे  क्या अब इन पर आप इख्तियार रखते है // फैसला आपका हर मंज़ूर होगा, इतना तो हक आप "रत्न" पर  सरकार रखते है // दिल चाहे जहाँ ,आपका वहां ले चलियें, औरो का नहीं पता "हम आप पर पूरा एतबार रखते है"// बेखुदी -होश न होना ,जब दिमाग काम करना बंद करे // गिला-शिकायते .रंजिशे -मतभेद या लड़ाई // इख्तियार -अधिकार  या  नियत्रण (control) एतबार-भरोसा 

"गुप्तरत्न " नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,सागर ...

"गुप्त रत्न" नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,सागर ... : नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है, सागर सागर भटकूँ मैं,प्यास बुझायें वो दरिया मेरे अन्दर है // शांत कहाँ ह्रदय मेरा,... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न "  आओ पढ़े हम,इस आज़ादी की वो गाथाएं , आओ पढ़े हम,इस आज़ादी की वो गाथाएं , जिनको पाने जाने, लांघी है कितनी ही बाधाएं, ये रंग बिरंगा सा, जो तुमको दीखता है , तिरंगा, ना जाने कितने वीरो के लहू ने है ,इसको  रंगा, ये राष्ट्रध्वज, ये राष्ट्रगीत और ,राष्ट्रचिंह ये राष्ट्रगान, यूं ही नहीं मिला हमको आज ये सम्मान, काली स्याही मैं खोजो, तुमको उजला अतीत मिलेगा, तब तुम हृदय से दे सकोगे इन्हें सच्चा मान, आओ पढ़ें हम आज़ादी की वो गौरव कथाएं, जिनके मुख्य किरदारों मैं थे ,जाने कितने वीर और वीरांगनाये, करो महसूस उन वीरो के मर्म ,को जिनकी थी ये व्यथाएं, आओ पढ़े हम आज़ादी की वो कथाएं! गुप्त रत्न सवतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ//

"गुप्त रत्न" हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है,

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"गुप्त रत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य .. हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है, और नहीं कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। हाथों मैं रखता कोई गीता,पढता कोई कुरआन है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है " दुआ भी होती,नात भी सुनते और कहते कव्वाली भी, और यही पर  सुनते हम भजनों की मधुरम  तान है।। "शूरवीर महाराणा" यही पर हुए "अकबर महान" है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। सियासत भी बोलती है, ज़हर नफरत का घोलती है / आयें मिटाने इस प्रेम को कई सियासी शैतान है।। फुट डालकर राज किया कई ,गोरे और देशी हैवान है , अब नही करने देंगे ये,यहाँ अपना घर ये  हिन्दुस्तान है।। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब इसकी शान है , और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।। जय हिन्द।
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य .. हिन्दू,मुस्लिम,सिख इसाई सब इसकी शान है, और नहीं कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। हाथों मैं रखता कोई गीता,पढता कोई कुरआन है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है " दुआ भी होती,नात भी सुनते और कहते कव्वाली भी, और यही पर  सुनते हम भजनों की मधुरम  तान है।। "शूरवीर महाराणा" यही पर हुए "अकबर महान" है, और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है। सियासत भी बोलती है, ज़हर नफरत का घोलती है / आयें मिटाने इस प्रेम को कई सियासी शैतान है।। फुट डालकर राज किया कई ,गोरे और देशी हैवान है , अब नही करने देंगे ये,यहाँ अपना घर ये  हिन्दुस्तान है।। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब इसकी शान है , और नही कही हम यारो "ये अपना हिन्दुस्तान है।। जय हिन्द।

#गुप्त रत्न " क्या लिखना है "

"गुप्त रत्न "खमोशी की गहरे मैं : गुप्त रत्न " क्या लिखना है " : कोरे है ये पन्ने कब से ,अब इनमे लिखना है , जो कुछ रह गया अनकहा वो सब लिखना है // कितने ज़ख़्म दिए तूने,कितनी घायल हूँ मैं, बता न सक... "गुप्त रत्न "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,धड़कने भी मना करन...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,धड़कने भी मना करन... : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं, धड़कने भी मना करने लगी,रहने सीने मैं,// तिश्नगी मिटी ही नहीं कभी मेरे लवों से, दर्द का ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,धड़कने भी मना करन...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,धड़कने भी मना करन... : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं, धड़कने भी मना करने लगी,रहने सीने मैं,// तिश्नगी मिटी ही नहीं कभी मेरे लवों से, दर्द का ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : तुम तो सारथि हो मेरे ,तुम बिन राह कौन दिखाएगा,नाह...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : तुम तो सारथि हो मेरे ,तुम बिन राह कौन दिखाएगा, नाह... : तुम तो सारथि हो मेरे ,तुम बिन राह कौन दिखाएगा, नाहक डरते हो,तुम हो साथ तो कौन मुझे भटकाएगा// यकीन मानो तुम ,तुम हो ,तुम्हारी जगह कौन ले ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर ,सब भूल रही ...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर , सब भूल रही ... : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर , सब भूल रही हूँ,आपकी याद सामने रखकर // सीधे सीधे फरमाइए क्या चाहत है आपकी, न उलझाइये,हमे शर्त... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर ,सब भूल रही ...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर , सब भूल रही ... : आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर , सब भूल रही हूँ,आपकी याद सामने रखकर // सीधे सीधे फरमाइए क्या चाहत है आपकी, न उलझाइये,हमे शर्त... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
आजकल लिखती हूँ ,आपकी सूरत सामने रखकर , सब भूल रही हूँ,आपकी याद सामने रखकर // सीधे सीधे फरमाइए क्या चाहत है आपकी, न उलझाइये,हमे शर्ते ये सामने रखकर // यूँ तो सोचते ही रहे की,क्या लिखें हम, कलम चल पड़ी ,शराब सामने रखकर // ए खुदा ,तुझ पर मेरा अकीदा देख, कही सर नही झुकाती,तेरे सामने रखकर // उर्दू जुवा न हिंदी जुवा बयाँ कर सकेगी मुहब्बत को, निगाहों को ही  जुवा समझो  मेरी ,बस  दिल  रखकर // आप न चाहेंगे तो देखंगी  भी न आपको,"रत्न " क्या चाहते है ऐसा,कह दो दिल पर हाथ रखकर // अकीदा --बिश्वास ,भरोसा 

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : मिला क्या वो की मेरी .जिंदगी और कशमकश मैं फंस गई,...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : मिला क्या वो की मेरी .जिंदगी और कशमकश मैं फंस गई,... : मिला क्या वो की मेरी .जिंदगी और कशमकश मैं फंस गई, कयामत थी,नज़र मिलाना "रत्न"की जानआफत मैं फस गई // बमुश्किल तो लाये थे कश्ती ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है,बताती हूँ की ...

"गुप्त रत्न "  : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की ... : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की लिखना क्या होता है// कभी चलकर आये है ,जिन काँटों सी राहों पर, चुभन वो  ,बार बार महसूस... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है,बताती हूँ की...

"गुप्त रत्न "गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ,  : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की... : कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की लिखना क्या होता है// कभी चलकर आये है ,जिन काँटों सी राहों पर, चुभन वो  ,बार बार महसू... "गुप्त रत्न "" गुप्त रत्न -हिंदी कवितायेँ, "
कागज़ पर स्याही विखेरना क्या होता है, बताती हूँ की लिखना क्या होता है// कभी चलकर आये है ,जिन काँटों सी राहों पर, चुभन वो  ,बार बार महसूस करना होता है // रोज़ नहीं चुभते कांटे पैरो मैं, सूखे ज़ख्मो को हरा करना होता है // अल्फ़ाज़ कहाँ होते है .खून-ए-अरमा होता है, बीती यादों मैं रोज़ रोज़ जीकर ,मरना  होता है // बिन लिखें तो अब जी न पाएंगे ,आवाज़ है ये वरना तो ख़ामोशी मैं घुटना होता है //

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : पलकों मैं बैठा लिया आपको दिल से मजबूर होकर ,बेईज्ज...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : पलकों मैं बैठा लिया आपको दिल से मजबूर होकर ,बेईज्ज... : पलकों मैं बैठा लिया आपको दिल से मजबूर होकर , बेईज्जत करने पर आमदा हो गए गुरूर मैं  चूर होकर // दिल झुका पर सर न झुका सकेंगे , कैसी ज... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " "तेरे सीने से लिपटने का मन है करता, बोलूं कैसे?

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " तेरे सीने स... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " तेरे सीने से लिपटने का मन है करता, बोलूं कैसे?बदनामी से दिल है डरता,// क्या... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को, तेरे सीने से लिपटने का मन है करता, बोलूं कैसे?बदनामी से दिल है डरता,// क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को, जितना भी देखूं ,तुझसे मन नही है भरता ,// महसूस कर रहे तुम भी,कर रहे महसूस हम भी, धडकनों ,और साँसों की बेकरारी का ये आलम , अज़ब सी तुमको  ये कशमकश ,खामोश हम भी, देखेंगे इज़हार-ए-बेकरारी पहले कौन है करता // तेरे सीने ....................................................
दर्द पढ़ना लगता है अच्छा ,इसलिए दर्द लिख रहें है, यकीन मानो पीकर सब सच लिख रहें है, वो तो नशा था मेरे लिए अब तक, है लत,वो लिख रहें है // तन्हाई भी कितनी बेरहम होती है,भूलना है, जिसको उसको लिख रहें है // सबने नचाया है अपने इशारों पर मुझको, अब और नहीं,बस वो लिख रहें है // तुम्हारी तड़प तो जीत है मेरी ,तुम तड़प जाओ , इसलिए तो लिख रहें है // तुम तो दवा हो ए दोस्त, ज़हर न बन जाओ इसलिए लिख रहे है // तुझसे हर ओहदे मैं ऊँचे रहें ,फिर भी, हारे है मुह्ब्बत मैं,इसलिए लिख रहे हैं // गुप्त रत्न 

"गुप्त रत्न" दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं...

"गुप्त रत्न " ख़ामोशी की गहराई मैं" दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं... : दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं, फर्क करते करते मंदिर की पूजा और नमाज़ों मैं// किस किस को इलज़ाम देती ,अपनी दर्द-ए...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "अजीब सी कशमक...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमक... : गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमकश साथ मेरे,आजकल  खुद से ही है,एक जंग आजकल // सिहर उठती हूँ ,तेरा ख्याल आ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको,कडवे हो,मेरे जैसे लगन...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको, कडवे हो,मेरे जैसे लगन... : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको, कडवे हो,मेरे जैसे लगने लगे हो मुझको, बहुत सोचते मेरे बारे मैं, क्यूँ ? जब फ़िक्र नहीं खुद मुझको, जीने दो ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " "बदले है ढंग आजकल ""गुप्त रत्न "" भ...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न " "बदले है ढंग आजकल " "गुप्त रत्न "" भ... : "गुप्त रत्न " "बदले है ढंग आजकल " "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमकश साथ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " अजीब सी कशमकश साथ मेरे,आजकल  खुद से ही है,एक जंग आजकल // सिहर उठती हूँ ,तेरा ख्याल आते ही, ये क्या  हो रहा है, मेरे संग आजकल// सोच कर घबराना ,कभी शर्माना तुझे, अजब से हालत हो चले मेरे संग आजकल // मैं तो नहीं थी कभी ऐसी, क्यूँ बदले है,मेरे ढंग आजकल// कितने जले है,अब तक ये क्या बताऊँ, खुद मोम सी पिघल रही है ,ये आग आजकल// जाने कितनो को तडपाया है,बताएं क्या इस "रत्न"ने, एहसास ये नए करते है,इसको तंग आजकल // मौसम ने भी क्या करवट ली है शानदार, बारिश मैं है तिश्नगी ,समन्दर मैं आजकल // बदल रहा है हवाओं का रुख, लहरों मैं हलचल ,नयी तरंग है आजकल// चाहकर नहीं छिपा पाते है "रत्न" खोल रहे है राज़,आँखे और चेहरा का रंग आजकल//

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी...

गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी... : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी , साथ रहो तुम ,पर तलवार मैं ही चलाऊँगी // बिन तेरे तो आगे मैं एक पग भी न धर पाऊँगी, ... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",
"गुप्त रत्न " " सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं, इस इम्तिहा तक तरसाना चाहते हो,//? मोम सी पिघल रही हूँ , खुद भी आग हो ये बताना चाहते हो //?  प्यास नही तुमको,? सच कहो किसे बहलाना चाहते हो //? दो कदम भी नही चले साथ,अभी, घबराकर कदम पीछे हटाना चाहते हो//? डरते हो, न मुहब्बत कर बैठो "रत्न"से  , दिल तो गया आपका अब क्या बचाना चाहते हो //?

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न ""ख़ामोशी की गहराई मैं"सामने बैठकर दि...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न ""ख़ामोशी की गहराई मैं" सामने बैठकर दि... : "गुप्त रत्न " "ख़ामोशी की गहराई मैं" सामने बैठकर दिल का संभलना, जैसे आग  मैं रखकर हाथ का  न जलना, नही देखा अब तलक, ... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं,इस इम्तिहा तक तरसाना चा...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं, इस इम्तिहा तक तरसाना चा... : सिमट जाऊं ,तेरी बाहों मैं, इस इम्तिहा तक तरसाना चाहते हो,//? मोम सी पिघल रही हूँ , खुद भी आग हो ये बताना चाहते हो //?  प्यास नही तुमक... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न " "ख़ामोशी की गहराई मैं" सामने बैठकर दिल का संभलना, जैसे आग  मैं रखकर हाथ का  न जलना, नही देखा अब तलक, गर्मी मैं बर्फ का न पिघलना // नही पता "रत्न"को, रोके कैसे यूँ धडकनों का मचलना // सिखा दो ये फनकारी, छिपाकर तड़प, महफ़िल मैं संभलना  // ------------------------------------------------------------

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं " लहरों के श...

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "  लहरों के श... : "गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "   लहरों के शोर से समन्दर की गहराई का अंदाजा नही होता, सूरत से न लगाइए जी अनुम... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

#गुप्तरत्न लहरों के शोर से समन्दर की गहराई का अंदाजा नही होता,

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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "   लहरों के शोर से समन्दर की गहराई का अंदाजा नही होता, सूरत से न लगाइए जी अनुमान मेरा जो दिखता है अक्सर वो नही होता.... खूबसूरती के लबादे मैं ढंके है दर्द कितने , मेरी हंसी से कभी उनका किसी को अंदाजा नहीं होता.......... जिसके लिए लिखी है इबारते मेरी आँखों मैं,वो ही समझ पायेगा, सबके लिए "रत्न" की आँखों की पाठशाला का दरवाज़ा ये खुला नही होता // इतना भी आसान नही है पार कर पाना हदों को, जिगर चाहिए,दिल की इस हुकूमत मैं आना सबके बश मैं नहीं होता // Like Show more reactions  ·  Reply  ·  14 mins  ·  Edited
"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " चाहती हूँ कुछ लिखना ऐसा जो सबका मन चीर दे , भर दे ह्रदय हौसले से पर आँखों मैं भी नीर दे // हर युवक बना बैठा है रांझा ,कहता मुझको मेरी हीर दे, नहीं मांगता खुलकर,कोई नहीं कहता मुझको मेरा कश्मीर दे // श्रीराम लिखना है अपराध, नहीं कर सकते  कालीमंदिर मैं घंटनाद, फिर भी कहते प्रेम से हम सनातनी,ईद मैं सेवई की खीर दे // कह रही चीख चीख कर भारत माता , मुझको फिर आज़ाद और भगत  सिंह जैसे वीर दे // बचा सके जो लाज मेरी भरी सभा मैं, हे वीरो श्रीकृष्ण की तरह मुझे वो अंतहीन चीर दे // न बैठे कोई नपुंसक जैसा,हर युवा बहे प्रेम मैं मेरे , सबके ह्रदय देशप्रेम मैं मचले,सबको वो ह्रदय अधीर दे // चीर -फाड़ना ,भावना जगाना  चीर-कपड़ा, अधीर -व्याकुल ,बेचैनी  सनातनी-हिन्दू धर्म अनुयायी  घंटनाद-घंटी की आवाज़ (कल्कुत्ता मैं काली मंदिर मैं घंटी बजाने और हैदराबाद मैं ऑटो मैं श्रीराम लिखने पर कटाक्ष )

गुप्त रत्न "ख़ामोशी की गहराई में", : खुदा तुझे माफ़ न करेगा,तेरे इस गुनाह की खातिर ,क़ुरा...

"गुप्त रत्न " ख़ामोशी की गहराई मैं : खुदा तुझे माफ़ न करेगा,तेरे इस गुनाह की खातिर ,क़ुरा... : खुदा तुझे माफ़ न करेगा,तेरे इस गुनाह की खातिर , क़ुरान सा दिल ठुकरा दिया तूने ,तेरी आवारगी की खातिर// तू जानता था की काले रंग से मुहब्... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "