"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको,कडवे हो,मेरे जैसे लगन...
"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : शराब जैसे लगने लगे हो मुझको,
कडवे हो,मेरे जैसे लगन...: शराब जैसे लगने लगे हो मुझको, कडवे हो,मेरे जैसे लगने लगे हो मुझको, बहुत सोचते मेरे बारे मैं, क्यूँ ? जब फ़िक्र नहीं खुद मुझको, जीने दो ...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
कडवे हो,मेरे जैसे लगन...: शराब जैसे लगने लगे हो मुझको, कडवे हो,मेरे जैसे लगने लगे हो मुझको, बहुत सोचते मेरे बारे मैं, क्यूँ ? जब फ़िक्र नहीं खुद मुझको, जीने दो ...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
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