"गुप्त रत्न " आओ पढ़े हम,इस आज़ादी की वो गाथाएं ,
आओ पढ़े हम,इस आज़ादी की वो गाथाएं ,
जिनको पाने जाने, लांघी है कितनी ही बाधाएं,
ये रंग बिरंगा सा, जो तुमको दीखता है , तिरंगा,
ना जाने कितने वीरो के लहू ने है ,इसको रंगा,ये राष्ट्रध्वज, ये राष्ट्रगीत और ,राष्ट्रचिंह ये राष्ट्रगान,
यूं ही नहीं मिला हमको आज ये सम्मान,
काली स्याही मैं खोजो, तुमको उजला अतीत मिलेगा,
तब तुम हृदय से दे सकोगे इन्हें सच्चा मान,

आओ पढ़ें हम आज़ादी की वो गौरव कथाएं,
जिनके मुख्य किरदारों मैं थे ,जाने कितने वीर और वीरांगनाये,
करो महसूस उन वीरो के मर्म ,को जिनकी थी ये व्यथाएं,
आओ पढ़े हम आज़ादी की वो कथाएं!


गुप्त रत्न

सवतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ//

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