"गुप्त रत्न " क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को,
तेरे सीने से लिपटने का मन है करता,
बोलूं कैसे?बदनामी से दिल है डरता,//
क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को,
जितना भी देखूं ,तुझसे मन नही है भरता ,//
महसूस कर रहे तुम भी,कर रहे महसूस हम भी,
धडकनों ,और साँसों की बेकरारी का ये आलम ,
अज़ब सी तुमको ये कशमकश ,खामोश हम भी,
देखेंगे इज़हार-ए-बेकरारी पहले कौन है करता //
तेरे सीने ....................................................
तेरे सीने से लिपटने का मन है करता,
बोलूं कैसे?बदनामी से दिल है डरता,//
क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को,
जितना भी देखूं ,तुझसे मन नही है भरता ,//
महसूस कर रहे तुम भी,कर रहे महसूस हम भी,
धडकनों ,और साँसों की बेकरारी का ये आलम ,
अज़ब सी तुमको ये कशमकश ,खामोश हम भी,
देखेंगे इज़हार-ए-बेकरारी पहले कौन है करता //
तेरे सीने ....................................................
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