"गुप्त रत्न " क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को,


तेरे सीने से लिपटने का मन है करता,
बोलूं कैसे?बदनामी से दिल है डरता,//

क्या कहूँ?नाम क्या दूँ इन एहसासों को,
जितना भी देखूं ,तुझसे मन नही है भरता ,//

महसूस कर रहे तुम भी,कर रहे महसूस हम भी,
धडकनों ,और साँसों की बेकरारी का ये आलम ,

अज़ब सी तुमको  ये कशमकश ,खामोश हम भी,
देखेंगे इज़हार-ए-बेकरारी पहले कौन है करता //

तेरे सीने ....................................................

टिप्पणियाँ