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गुप्तरत्न : जानवर सा इंसान रखती हूँ

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गुप्तरत्न : जानवर सा इंसान रखती हूँ "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं "

"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी...

गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ", : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी... : तुम ढाल हो मेरी बिन तेरे ये जीवन युद्ध न लड़ पाऊँगी , साथ रहो तुम ,पर तलवार मैं ही चलाऊँगी // बिन तेरे तो आगे मैं एक पग भी न धर पाऊँगी, ... गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा।पढोगे जब ज...

"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा। पढोगे जब ज... : कहा था मैंने,शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा। पढोगे जब जब ,मैं तब नज़र मैं आऊंगा।। माना हर क्षण मेरा जाना पीड़ा तुमको देता है। दर्द वियोग का ह्... "गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "

मंजिल अपनी हिन्दुस्तान

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"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं " ------------------------------------------------- क्यों लड़ रहे हो लोगो,ये क्या कर रहे हो लोगो,/ क्या फिर से चाहते हो वो खून और आंसू लोगो // वो एक है शक्ति,उसको जानो,पाक दिलो से तुम पहचानो , वो है शिव मैं,है पैगम्बर मैं, तेरे मेरे ही अन्दर मैं , इस्लाम कहो या रहो सनातन ,पर पहला मज़हब रहे वतन / ये कैसे समझोगे तुम लोगो ,क्यों लड़ रहे हो तुम लोगो , चाहे जाओ काबा कैलाश या मक्का और मदीना , मंजिल अपनी हिन्दुस्तान,इसमें ही है मिलकर जीना // सदियाँ गुज़री इस मिटटी मैं, मातरम है ये लोगो, ये घर है अपना इसमें कोहराम करो न तुम लोगो सदियाँ गुज़री लड़ते लड़ते,कितने अपने खोये है , फिर भी हमने सिर्फ बीज नफरतो के बोये है // फिर भी नही समझे और हम लड़ रहे है लोगो "रत्न" पूछ रही है तुमसे ,क्यों नही समझ रहे लोगो /?/ "गुप्त रत्न "

"गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : चलो सुनो शब्दो की महिमातुम आज ,जाने कितने इन शब्...

ग़ज़ल "गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ : चलो सुनो शब्दो की महिमातुम आज ,जाने कितने इन शब्... : चलो सुनो शब्दो की महिमा तुम आज , जाने कितने इन शब्दो मैं छुपे है राज , शब्दो से ही है सजते सारे  साज। , शब्दो से ही है , सारे रा... gupt ratn hindi kavityan