चाहना तो मेरे मन को चाहना,
चाहना तो मेरे मन को चाहना,
चाहना तो मेरे मन को चाहना,
सूरत को गर चाहा तो तेरा प्यार ठहर न पायेगा,
नूर है,मेरा यौवन तक,बहता पानी ढल जाएगा
आग हूँ में, मालुम है, मुझको,
दूर तुझे रखती हूँ,वरना तू जल जाएगा ll
मोम भी हूँ ,ये बस तुझको मालुम है,
तेरे छूते ही मेरा तन पिघल भी जाएगा ll
दूर तुझे रखती हूँ खुदसे ,वरना तू जल जाएगा ,
चाहना तो मेरे मन को चाहना ,सूरत को चाहा तो तेरा प्यार ठहर न पयेगा ॥
एक कहानी चलती है, मेरे इक इक अलफ़ाज़ में ,
तू अहम किरदार है इसमें , गर तू न बदला तो किरदार बदल जाएगा,
मैं नाराज़ हूँ तुझसे , तू नाराज़ है मुझसे ,
सोचना तो है फुर्सत में , की अब कौन किसे मनाएगा ॥
वरना किरदार बदल जाएगा ,
ज़हर है फैली, ये खामोशी बीच हमारे,
बोलो कुछ तो अब ,वरना धीरे धीरे ये रिश्ता मर जाएगा,
तुम मुझको माफ़ करो में भी दिल को साफ़ करूँ ,
बसंत अभी तक है बाग़ में,ये पौधा फिर खिल जाएगा
किरदार बदल जाएगा,
गर चाहा सूरत को तूने तो तेरा प्यार ठहर न पायेगा,
सोचो मिलकर की कौन किसे मनाएगा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें