नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है, Mrigtrishna

 "गुप्त रत्न"नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,


हीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,
सागर सागर भटकूँ मैं,प्यास बुझायें वो दरिया मेरे अन्दर है //

शांत कहाँ ह्रदय मेरा,उथल-पुथल मची हुयी है ,
झांककर देखा,तुफानो से घिरा समन्दर है //

नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,
शांत कहाँ ह्रदय है मेरा ,तुफानो से घिरा समन्दर है //

बिखरी चांदनी सारे रिश्तों की,मेरे आँगन,
मन भागे चाँद की पीछे,जो की दूर बसा कही अम्बर है //

शांत कहाँ है ह्रदय मेरा,तुफानो से घिरा समन्दर है .................................

जो दिया तूने प्रसन्न चित्त्त स्वीकारा "रत्न" ने 
चाहे फूल पलाश थे,या धरती ये बंज़र है //

मन व्याकुल सोचे,जीवन बीते इस हार जीत मैं,
जग जीता जिसने आधा,क्या वो आज सिकन्दर है //

नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है
शांत कहाँ है ह्रदय मेरा,तुफानो से घिरा समन्दर है //..........................


चार दिन की चांदनी,ये रूप रंग और ये यौवन ,
रह जायेंगे, शब्द अमिट और मन मेरा जो सुन्दर है //

नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,
शांत कहाँ है ह्रदय मेरा,तुफानो से घिरा समन्दर है //
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टिप्पणियाँ

Nahi mitegi mrigtrishna kasturi man ke andar hai

मत पूछों मुझे क्या क्या रोकता है , #guptratn kya kya rokta hai