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#गुप्तरत्न : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सक...

गुप्तरत्न : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सक... : इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सकें, छुप जाएँ तेरी बाहों मैं कुछ यूँ,की किसी को नज़र आ न संकेll ए खुदा क्यूँ ? मैं ही तड़... "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " गुप्तरत्न :यूँ लगूं गले की छोड़ दूँ अपने सीने की आग तेरे सीने में, https://m.starmakerstudios.com/share?recording_id=5348024555918034&share_type=fb&app=sm इक बार खोना है यूँ, तुममे की खुद को भी खुद पा न सकें, छुप जाएँ तेरी बाहों मैं कुछ यूँ,की किसी को नज़र आ न संकेll ए खुदा क्यूँ ? मैं ही तड़पू  तनहा इस तड़प मैं , उनको भी दे मेरी तड़प कुछ यूँ, की फिर मुझे सता न सकें ll क्यूँ रहे बदनामी का डर ,ये इकतरफा हर घडी, मुहब्बत मैं हो शरारत यूँ,की वो भी एहसास जुबां से बता न सकें ll यूँ लगूं गले की छोड़ दूँ अपने सीने की आग तेरे सीने में, की जले तू भी मेरी ही तरह, फिर किसी को यूं जला न सकें ll बहुत गुरूर है उसे अपने आप में ,"रत्न" ला उसे मेरे करीब यूँ,की ए खुदा की दूर फिर मुझसे जा ...