"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,धड़कने भी मना करन...
"गुप्त रत्न " भावनाओं के समन्दर मैं : कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,धड़कने भी मना करन...: कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं, धड़कने भी मना करने लगी,रहने सीने मैं,// तिश्नगी मिटी ही नहीं कभी मेरे लवों से, दर्द का ...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
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