गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर नज़्म में,

गुप्तरत्न : खुल कर लिख तो दूँ ,तेरा नाम हर न
ज़्म में,: "गुप्तरत्न " "भावनाओं के समंदर मैं " उड़ेंगे कितने ऊपर आसमान पे, तुम  बस  उनकी उड़ान देखो,  बैठेंगे कब किस डाल पे, त...

"गुप्तरत्न "
"भावनाओं के समंदर मैं "

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