"गुप्त रत्न" "हिंदी कवितायेँ", : नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,सागर ...

"गुप्त रत्न " : नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है,सागर ...: नहीं मिटेगी मृगतृष्णा,कस्तूरी मन के अन्दर है, सागर सागर भटकूँ मैं,प्यास बुझायें वो दरिया मेरे अन्दर है // शांत कहाँ ह्रदय मेरा,...

गुप्त रत्न "हिंदी कवितायेँ",

टिप्पणियाँ

Nahi mitegi mrigtrishna kasturi man ke andar hai

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#GUPTRATNगुप्तरत्न : दोस्त तुम बने नहीं, न रही कभी रंजिशे आपसी ,