"गुप्त रत्न ": रोक नदियों को सकते हो,/समन्दर को किसने बाँधा है ,...
"गुप्त रत्न ": रोक नदियों को सकते हो,/
समन्दर को किसने बाँधा है ,...: रोक नदियों को सकते हो,/ समन्दर को किसने बाँधा है ,// गर हुकूमत मुझ पर मुहब्बत है/ तो इश्क का तुझे इल्मआधा है // नसीब की दास्ताँ होती ...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
समन्दर को किसने बाँधा है ,...: रोक नदियों को सकते हो,/ समन्दर को किसने बाँधा है ,// गर हुकूमत मुझ पर मुहब्बत है/ तो इश्क का तुझे इल्मआधा है // नसीब की दास्ताँ होती ...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
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