"गुप्त रत्न "

यकीं है ,तुमको आना है एक दिन ,
आस लेकिन दिल को काफी नहीं होती /

सजा मेरे पास कुछ भी नहीं तेरे लिए ,
पर खुदा के दर पर माफ़ी नही होती

सज़दा तेरे दर पर कर काफ़िर मैं हो गई,
मुहब्बत से बड़ी कोई इबादत  नहीं होती //

है,मुद्दतो की तड़प और आसुंओ का फैसला ,
होगा वक़्त से इतनी नाइंसाफी भी नही होती //

हो सके तो पढ़ मेरे भीगे लफ्जों को ,
आंसुओ से बड़ी कोई स्याही नहीं होती /

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