कौन कहता है शराब..................

"गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "
वाह  क्या चीज़ है ..........

कौन कहता है, शराब बुरी चीज़ है ,
दुनिया भुला दे, अरे ये तो वो चीज़ है //

लाखों गम,लाखों तकलीफे,
सब कुछ मिटा दे, सच ये वो चीज़ है //

सुर भी है,साज़ भी है ,संगीत भी है आवाज़ भी है ,
बना दे मधुर जिंदगी ,ये वो चीज़ है //

लगती है कड़वी,किसी को वेस्वाद,
बना दे सब मीठा,पीने के बाद ये वो चीज़ है //

आँखों से पीता ,कोई तो लेकर बैठा पैमाना ,
दोनों मैं है गज़ब का नशा,ये क्या चीज़ है //

कौन कहता है शराब..................

कौन चाहता है होश मैं रहना ,
कर दे बेखुद,"रत्न "को वाह ये  क्या चीज़ है //

या तो दे शराब ,कोई या महफ़िल तेरी ,
मौज़ूद है नशा,भुला दे गम दोनों क्या चीज़ है //

कौन कहता है शराब बुरी चीज़ है,
सब गम मिटा दे ,कसम से ये तो वो चीज़ है //

बेखुद- होश मैं न रहना 

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