"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कभी मनायी ,ईद मैंने और तूने साथ दिवाली है ,बांटी ...
"गुप्त रत्न " भावनायों के समन्दर मैं : कभी मनायी ,ईद मैंने और तूने साथ दिवाली है ,
बांटी ...: कभी मनायी ,ईद मैंने और तूने साथ दिवाली है , बांटी मैंने सेवई,तूने भी आँगन मेरे डाली रंगोली है । दियें जलाएं है, तूने,और रातें वो सजा ली...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
बांटी ...: कभी मनायी ,ईद मैंने और तूने साथ दिवाली है , बांटी मैंने सेवई,तूने भी आँगन मेरे डाली रंगोली है । दियें जलाएं है, तूने,और रातें वो सजा ली...
"गुप्त रत्न "" भावनाओं के समंदर मैं "
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें