बालदिवस पर मिलकर ये प्रण लीजिये ,

यूँ तो पूरा साल है तुम्हारा पर आज कुछ यों कीजिये ,
बालदिवस पर मिलकर ये प्रण लीजिये ,

इंस्टाग्राम .फेस बुक व्हाट्सअप छोड़कर सभी ,
एग्जाम आ रहे है ,किताबो की और मुख कीजिये ,

माना तुममे नया जोश है ,नवयुग की संतान तुम 
पर ये न हो की अपनी संस्कृति का अपमान कीजिये ,

ये पहचान है हमारी ,जड़ें है इसमें ,
अपनी पहचान के लिए इसका सम्मान कीजिये ,

हमारे दिन तो ढल गए, है सूरज की तरह ,
अनुभव है अब हम ,शाम की लालिमा जैसे
मगर तुममें  नया जोश है ,नयी ऊर्जा हो अभी तुम ,
इस अनुभव से इस ऊर्जा को सही दिशा दीजिये ,
इस लालिमा से अपने पथ को रोशन तुम कीजिये ,

ये समय अनमोल ना आएगा दुबारा ,
सदुपयोग हो इसका ,और आनंद लीजिये

गुप्त रत्न 

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